ईश्वर का प्रेम मानव के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है



ईश्वर का प्रेम मानव के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है


ये छवि है बाइबिल में बयानी, आदम को आज्ञा प्रभु की,
जो है करुण-और-रूमानी,
जबकि इस तस्वीर में है, केवल प्रभु और इंसान,
दोनों में है जो रिश्ता वो, है इतना करीब कि,
हमको होता है अचरज, हम ताज्जुब और हैरान।

प्रभु के प्रेम का प्लावन, मानव के लिए बिन-बंधन,
प्रभु-प्रेम उसके चारों ओर,
मानव पावन और निर्दोष, उसे बंधन में, बिन बांधे ही,
रखे प्रभु आनंद विभोर।
ईश्वर ही उसका पालक है, और वह है छत्रछाया में उनकी,
उसके सारे कर्म और उसकी वाणी,
ईश्वर से हैँ जुड़े, होंगे ना जुदा।

पहले ही पलछिन से, परमपिता ने सरजा, हम मानव को,
उन्हें प्रभु ने रखा संभाल,
कैसा वो शरण, है कैसा साथ?
है रक्षा का भार उन्हीं पर, और देखना इंसानों को
करते हैं उम्मीद कि मानव, माने बस उनकी आज्ञा को
यह थी आशा प्रभु की, थी हम इंसानों से।

यह आशा लेकर,
परमपिता ने फरमाया:
"हर पेड़ के इस उपवन के, तुम फल खा लेना,
पर नेकी-बदी के ज्ञान के, वृक्ष से, वृक्ष से,
फल मत खाना कभी,
अगर कभी जो खाया तो, खो दोगे तुम प्राण तुम्हारे।"
सरल ये बातें, प्रभु के इच्छा की,
दिखलाती हैं, कि मानव का ध्यान, उनके दिल में था पहले ही।

इन बातों में तमाम,
प्रभु की मर्ज़ी है,
क्या उनके दिल में है प्यार?
क्या नहीं है लगाव और दुलार?
प्यार और दुलार प्रभु का ऐसा है, जिसे समझे और महसूस
करे यदि, आप में विवेक हैं और मानवता भी,
तुम्हें लगेगा सुखकर, स्नेह-पोषित और
महसूस तुम करोगे खुद को आनंद और धन्य।

जब तुम्हें हो ये महसूस,
कैसे करोगे तुम इश्वर से बर्ताव?
क्या लगोगे गले?
क्या श्रद्धामय प्रेम, क्या श्रद्धामय प्रेम नहीं जागेगा दिल में?
क्या खिंचेगा दिल उसकी जानिब?
इससे हम पाते है कितना ज़रूरी, प्रभु का स्नेह है
पर इससे भी ज्यादा है ये ज़रूरी
कि इंसाँ महसूस करे, समझे प्रभु का प्यार।
"वचन देह में प्रकट होता है से आगे जारी" से


चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था। यह उन सभी लोगों से बना है जो अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं और उसके वचनों के द्वारा जीते और बचाए जाते हैं। यह पूरी तरह से सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया गया था और चरवाहे के रूप में उन्हीं के द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसे निश्चित रूप से किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया था। मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं।

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