मसीह स्वयं देहधारी परमेश्वर है

परमेश्वर के वचनों का एक भजन
मसीह स्वयं देहधारी परमेश्वर है

I
परमेश्वर के देहधारण के मायने हैं, मायने हैं परमेश्वर देह में ही प्रकट होता है, होता है लेकर अपने ही रचे इंसान का शरीर वो, शरीर वो, उन्हीं के बीच अपना काम करता है, काम करता है। ये सच है, परमेश्वर, देह बने अपने सार के संग काम करता है। ये सच है, परमेश्वर, देह बने अपने सार के संग काम करता है। मसीह देहधारी परमेश्वर है, परमेश्वर की आत्मा ने जिसे धारण किया शरीर में। मसीह निराला है इंसानों में। देह और रक्त है मगर दूषित नहीं है वो, परमेश्वर के आत्मा का प्रकट रूप है वो।
II
मसीह मानव भी है दिव्य भी है, दिव्य भी है। मसीह की इंसानियत देह-कर्म संभालती है, संभालती है। उसकी दिव्यता प्रभु के काम करती है, काम करती है। मसीह का सार-तत्व आत्मा है, प्रभु है, प्रभु है। उसकी इंसानियत, दिव्यता स्वर्गिक पिता को मानती। ये सच है, परमेश्वर, देह बने अपने सार के संग काम करता है। मसीह देहधारी परमेश्वर है, परमेश्वर की आत्मा ने जिसे धारण किया शरीर में। मसीह निराला है इंसानों में। देह और रक्त है मगर दूषित नहीं है वो, परमेश्वर के आत्मा का प्रकट रूप है वो।
III
परमेश्वर के वचन ज़ाहिर करते हैं उसके आत्मा को, और दिखाते हैं आत्मा के किये काम को। देह शायद इन कामों से अंजान हो। मगर परमेश्वर के आत्मा के प्रकट रूप के तौर पर, देह व्यक्त करे प्रभु का काम, प्रकाशित करे परमेश्वर के अस्तित्व और स्वभाव को। मसीह मानव है जिसमें परमेश्वर का सार है। उसका दर्जा सबसे, सबसे ऊपर है, उनसे भी ऊपर जो परमेश्वर का काम करते हैं। देह से इंसान बना है ये सच है, मगर सिर्फ़ मसीह है जो देहधारी परमेश्वर है। बाकी केवल नश्वर इंसान हैं।


"वचन देह में प्रकट होता है" से

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