कैनान की धरती पर खुशियाँ


जीवन का अनुभव के भजन
कैनान की धरती पर खुशियाँ
I
मैं ईश्वर के परिवार में लौट आया, जोश और खुशियों से भरकर। नाज़ है सच्चे प्रभु जाना तुझे, दिल अपना मैंने किया तुझे अर्पण। आंसुओ की घाटी से गुज़रा मगर, देखा है मैंने प्रेम प्रभु का। दिन-ब दिन बढ़ता प्रभु में प्रेम मेरा, है प्रभु मेरी खुशियों का खज़ाना। उसकी सुंदरता पे मोहित मेरा दिल, खो गया है बस प्रभु के प्रेम में। कितना भी चाहूँ प्रेम पूरा ना होगा, प्रभु महिमा के गीत दिल में मेरे। उसकी सुंदरता पे मोहित मेरा दिल, खो गया है बस प्रभु के प्रेम में। कितना भी चाहूँ प्रेम पूरा ना होगा, प्रभु महिमा के गीत दिल में मेरे।
II
कनान की पावन धरती पर, सब निर्मल है सब अभिनव है। सर्वशक्तिमान ईश्वर आवाज़ दे रहा है, इस नए युग की। उसके वचनों में है मिलती नयी राह, चलना जिस पर चाहिए हम सब को। स्वर्ग का सपना बना सच्चाई अब, ना कोई खोज हमको। है रूबरू प्रभु से मिलता, वचनों में ही, उसकी इच्छा को पहचानना। प्रभु की निष्ठा, धर्मिता, स्वभाव, इतना प्यारा है ना कर सकें बयां। कितना सुन्दर प्रियतम मेरा, उसकी शोभा दिलों को हर ले। खींचे यूँ उसकी हमको सुगंध, उस से दूर जाने ना दे।
III
आकाश के तारे मुझे देख मुस्कुराते, सूरज भी मुझे देख झूमता। बढ़ता है धूप और बरसात संग, फल जीवन का पकता रहता। परमेश्वर के मधुर वचन, हमें भर देते मधु-उत्सव से। परमेश्वर की पूर्ण व्यवस्था देती है संतोष हमें। है कनान की धरती ही, प्रभु के वचनों का संसार। देता है हमको प्रेम उसका, और ख़ुशियां अपार। बहती यहाँ फलो की खुशबु अगर गुजारो तुम कुछ दिन यहाँ पे, प्यारा ना इस से कुछ भी लगे। तुम चाहोगे ना जाना यहां से।
IV
दी सी चमके रौशनी, खुशियों से भर गयी ज़िन्दगी। प्रिय तुम मेरे दिल में बसे। तुम्हारी सुंदरता है शब्दों से परे। झूम कर नाचे दिल मेरा प्रेम में तेरे खोया सा मेरे दिल में ही सदा तेरा ठिकाना, मैं रहूँगा संग जीवन भर तेरे। हर दिन हर पल चाहतें तेरी, मेरे दिल को खुशियों से भरे। ईश्वर तुझे चाहूँ दिल से प्रेम सारा मेरा अर्पण तुझे। हर दिन हर पल चाहतें तेरी, मेरे दिल को खुशियों से भरे। ईश्वर तुझे चाहूँ दिल से प्रेम सारा मेरा अर्पण तुझे। मैं ईश्वर के परिवार में लौट आया, जोश और खुशियों से भरकर। नाज़ है सच्चे प्रभु जाना तुझे, दिल अपना मैंने किया तुझे अर्पण।

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