सिर्फ ईश्वर के पास ही जीवन का मार्ग है

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

परमेश्वर के वचन का भजन
सिर्फ ईश्वर के पास ही जीवन का मार्ग है
I
आचरण जीवन का है कोई ऐसी चीज़ नहीं, जिसे कोई भी अपने अधिकार में रख ले ये कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसे कोई भी हासिल कर ले, ये ज़िन्दगी तो मिलती है बस ईश्वर से सिर्फ ईश्वर के पास ही स्वयं जीवन का सत्व है सिर्फ ईश्वर के पास ही जीवन जीने का ढंग है इस तरह सिर्फ ईश्वर ही जीवन के स्त्रोत हैं, और निरंतर बहने वाले जीवन-अमृत का झरना हैं। जब से उसने इस संसार को रचा, ईश्वर ने सम्पन्न किये बहुत से काम इसमे शामिल है जीवन की वो प्राण शक्ति, जो जीवन देती है इंसानो को उन्होंने बड़ी कीमत चुकाई मानव जीवन के लिये, वो ईश्वर स्वयं ही अनन्त जीवन हैं, हैं ईश्वर ही वो प्रतिमान जिससे मानव पाता है नवजीवन।
II
ईश्वर कभी भी दूर तो नहीं, मानव के वो हमेशा रहते हैं बीच मे इंसानों के वो तो असल ताकत हैं मानव के जीवन-चक्र की और बुनियाद भी हैं उनके अस्तित्व की वो ईक अनमोल निधि हैं मानव के जीवन-धारण की वो कारण हैं मानव के पुनर्जन्म का ईश्वर ही काबिल बनाते हैं हमको जीने के लिये, मजबूती से हर भूमिका में। सिर्फ ईश्वर के पास ही स्वयं जीवन का सत्व है सिर्फ ईश्वर के पास ही जीवन जीने का ढंग है इस तरह सिर्फ ईश्वर ही जीवन के स्त्रोत हैं, और निरंतर बहने वाले जीवन-अमृत का झरना भी हैं। उनकी सामर्थ्य के कारण जीवन शक्ति के कारण इंसान जीता है, पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन-शक्ति ईश्वर की, साथ देती है इंसान का; कीमत जो चुकाई प्रभु ने, वो इंसान कभी भी नहीं चुका पाया।
III
ईश्वर की जीवन-शक्ति, सब शक्तियों पर काबिज़ है, और ये बढ़कर है, सभी शक्तियों से। उनका जीवन है अनन्त, उनकी शक्ति है विलक्षण, कोई जीव या दुश्मन जिसे हरा नहीं सकता। जो कायम हैं और वैभवता से चमकते हैं किसी भी वक्त किसी भी जगह पर, हर वक्त, हर जगह पर, हर वक्त, हर जगह पर सिर्फ ईश्वर के पास ही स्वयं जीवन का सत्व है सिर्फ ईश्वर के पास ही जीवन जीने का ढंग है इस तरह सिर्फ ईश्वर ही जीवन के स्त्रोत हैं, और निरंतर बहने वाले जीवन-अमृत का झरना हैं। धरती, आकाश, बदल जायें चाहें बिल्कुल, ईश्वर की ज़िन्दगी, कभी ना बदलेगी। सभी चीज़ें चाहें चली जायें, प्रभु का जीवन हमेशा रहेगा कायम, क्योंकि ईश्वर ही हैं स्त्रोत और अस्तित्व के मूल में सब के, वो ईश्वर स्वयं ही अनन्त जीवन हैं।
IV

मानव जीवन, का उद्गम, ईश्वर से है हुआ, स्वर्ग कायम है ईश्वर के ही कारण धरती भी कायम है ईश्वर की जीवन-शक्ति से कोई भी वस्तु हो, प्राण-शक्ति के अधीन लांघ नहीं सकती प्रभुसत्ता की सीमा को और कोई भी ताकत, तोड़ नहीं सकती, ईश्वर के इस सत्ता के दायरे को। सिर्फ ईश्वर के पास ही स्वयं जीवन का सत्व है सिर्फ ईश्वर के पास ही जीवन जीने का ढंग है इस तरह सिर्फ ईश्वर ही जीवन के स्त्रोत हैं, और निरंतर बहने वाले जीवन-अमृत का झरना हैं। इस तरह, चाहें कोई भी हो न हों, पूरी मानवजाति को होना है अर्पित, होना है समर्पित प्रभुसत्ता के आगे जीना है उनकी आज्ञा में, जीना है उनकी आज्ञा में, जीना है उनकी आज्ञा में, जीना है उनकी आज्ञा में, क्योकि कोई भी नहीं बच सकता, उनके संचालन से। 
"वचन देह में प्रकट होता है" से

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