मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (उद्धरण, मंच संस्करण)

अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II परमेश्वर का धर्मी स्वभाव" (उद्धरण, मंच संस्करण)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं "यदि कोई सृष्टिकर्ता के वचनों या कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करने और समझने के लिए सिर्फ अपने खाली समय का उपयोग करे, और सृष्टिकर्ता के विचारों एवं उनके हृदय की आवाज़ पर थोड़ा सा ध्यान दे, तो उन्हें यह एहसास करने में कठिनाई नहीं होगी कि सृष्टिकर्ता के विचार, वचन और कार्य दृश्यमान और पारदर्शी हैं। उसी प्रकार, यह महसूस करने में उन्हें बस थोड़ा सा प्रयास लगेगा कि सृष्टिकर्ता हर समय मनुष्य के मध्य में है, कि वह मनुष्य और सम्पूर्ण सृष्टि के साथ हमेशा से वार्तालाप में है, और यह कि वह प्रति दिन नए कार्य कर रहा है। उसकी हस्ती और स्वभाव को मनुष्य के साथ उनके संवाद में प्रकट किया गया; उसके विचारों और उपायों को उसके कार्यों में पूरी तरह से प्रकट किया गया है; वह हर समय मनुष्य के साथ रहता है और उसे ध्यान से देखता है। वह ख़ामोशी से अपने शांत वचनों के साथ मानवजाति और समूची सृष्टि से बोलता है: मैं ब्रह्माण्ड के ऊपर हूँ, और मैं अपनी सृष्टि के मध्य हूँ। मैं रखवाली कर रहा हूँ, मैं इंतज़ार कर रहा हूँ, मैं तुम्हारी तरफ हूँ..... उसके हाथों में गर्मजोशी है और वे बलवान हैं, उसके कदम हल्के हैं, उसकी आवाज़ कोमल और अनुग्रहकारी है; उसका स्वरूप हमारे पास से होकर गुज़र जाता है और मुड़ जाता है, और समूची मानवजाति का आलिंगन करता है; उसका मुख सुन्दर और सौम्य है। वह छोड़कर कभी नहीं गया, और न ही वा गायब हुआ है। सुबह से लेकर शाम तक, वह मानवजाति के निरन्तर साथी है।"

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