मसीही गीत | देहधारी परमेश्वर सबसे प्रिय है

मसीही गीत | देहधारी परमेश्वर सबसे प्रिय है

कि परमेश्वर के देहधारी हो जाने के बाद,
उसके द्वारा मनुष्यजाति के बीच जीवन का
और एक मानवीय जीवन का व्यक्तिगत रूप से अनुभव कर लेने के बाद,
और उसके द्वारा मनुष्यजाति की चरित्रहीनता
और मानवीय जीवन की दशा को देखने के बाद,
देहधारी परमेश्वर ने मनुष्यजाति की
असहायता, उदासी, और दयनीयता को और गहराई से महसूस किया था।
देह में रहते हुए अपनी मानवता की वजह से,
और देह में अपने सहजज्ञान की वजह से,
परमेश्वर को मानवता की हालत पर और अधिक करूणा उमड़ी।
इससे वह अपने अनुयायियों को लेकर और अधिक चिंतित हो गया।
इससे वह अपने अनुयायियों को लेकर और अधिक चिंतित हो गया।

अपने हृदय में, जिस मनुष्यजाति का वह प्रबन्धन और उद्धार करना चाहता है,
वह सबसे महत्वपूर्ण है,
और वह इस मनुष्यजाति को अन्य सभी से अधिक मूल्य देता है;
भले ही उसने उनके लिए एक बड़ी कीमत चुकाई है,
और भले ही उनके द्वारा उसे लगातार ठेस पहुँचाई जाती है और उसकी अवज्ञा की जाती है,
फिर भी वह उन्हें कभी भी नहीं त्यागता है
और लगातार अथक रूप से बिना कोई शिकायत या पछतावे के अपने कार्य में लगा रहता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि वह जानता है
कि आज नहीं तो कल मनुष्य एक न एक दिन उसके बुलावे के प्रति जागरूक हो जाएँगे
और उस के वचनों से प्रेरित हो जाएँगे, और पहचान जाएँगे कि वही सृष्टि का प्रभु है,
और उस की ओर लौट जाएँगे ...
ऐसा इसलिए है क्योंकि वह जानता है
कि आज नहीं तो कल मनुष्य एक न एक दिन उसके बुलावे के प्रति जागरूक हो जाएँगे
और उस के वचनों से प्रेरित हो जाएँगे, और पहचान जाएँगे कि वही सृष्टि का प्रभु है,
और उस की ओर लौट जाएँगे ...
और उस की ओर लौट जाएँगे ...
"मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से
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