परमेश्वर के स्वभाव का प्रतीक

परमेश्वर के वचनों का एक भजन
परमेश्वर के स्वभाव का प्रतीक

I
स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का मानवता को प्रेम करना, सुख देना स्वभाव है परमेश्वर का, है शामिल उसमें नफ़रत भी और पूरी समझ मानवता की। स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का है कुछ ऐसा जो सारे जीवों के शासक जो सारे सर्जन के स्वामी में होना चाहिये। स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का दर्शाता है आदर, शक्ति और कुलीनता, दर्शाता है महानता और प्रभुता। स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का प्रभु सदा है परम, प्रतिष्ठित, और मानव है सदा अधम और तुच्छित। क्योंकि प्रभु समर्पित है मानव को, पर मानव मेहनत करता खुद की ख़ातिर।
II
स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का प्रतीक है इस बात का प्रभु को दबाना मुमकिन नहीं मुमकिन नहीं प्रहार उस पर करे भले ही अज्ञानता या शत्रुबल। हो कोई भी जीव किंतु, कर नहीं सकता कभी अपमान उसका। उच्चतम शक्ति का है प्रतीक स्वभाव प्रभु का, है प्रतीक अधिकार का, और नेकी का, और हर सुंदरता, अच्छाई का। स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का कर नहीं सकता परेशां कोई उसको या फिर उसके काम को। इंसान के जीवन की ख़ातिर है जुटा जी-जान से प्रभु वो, फिर भी देता है नहीं मानव कभी कुछ ज्योति को या धर्मिता को। करता है इंसान मेहनत, पर सह सकता नहीं इक वार को। क्योंकि जीता है वो अपने लिए, कुछ नहीं देता औरों को वो, कुछ नहीं देता औरों को वो, कुछ नहीं देता औरों को वो। प्रभु सदा है परम, प्रतिष्ठित, और मानव है सदा अधम और तुच्छित। क्योंकि प्रभु समर्पित है मानव को, पर मानव मेहनत करता खुद की ख़ातिर। मानव जीता ख़ुद की ख़ातिर, और प्रभु दूजों की ख़ातिर। सच्चाई का, अच्छाई का सौन्दर्य का प्रभु उद्गम है, और मानव दुष्टता का, बदसूरती का दूत है। धर्मिता, सौंदर्य प्रभु का सार है, जो कभी बदले नहीं। इन्सान के जीवन की ख़ातिर है जुटा जी-जान से प्रभु, फिर भी देता है नहीं मानव कभी कुछ ज्योति को या फिर धर्मिता को। करता है इंसान मेहनत, पर सह सकता नहीं एक वार को, क्योंकि है खुदगर्ज़ मानव हर समय वो। धर्मिता, सौंदर्य प्रभु का सार है, जो कभी बदले नहीं, सार उसके पास है जो, वो कभी बदले नहीं। फेर सकता है निगाहें, दूर जा सकता है प्रभु से, ये मानव कभी भी और कहीं भी। स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का स्वभाव परमेश्वर का


"वचन देह में प्रकट होता है" से

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