प्रभु की अच्छाइयां फैली हुई हैं कण-कण में


परमेश्वर के वचन का भजन
प्रभु की अच्छाइयां फैली हुई हैं कण-कण में

I
हरचीज़पर, नज़रहैप्रभुकी, आसमां से हर चीज़ पर, अधिकार है प्रभु का, आसमां से साथ ही, इंसान का उद्धार करने भेजा है, धरती पर उसने, आसमां से। खुद तो है पर्दे के पीछे, हर समय, हर करम इंसान का पर वो देखता है कौन क्या कहता है, क्या करता है, वो सब जानता है, अपने हाथों की हथेली की तरह, इंसान को पहचानता है। गुप्त है प्रभु का ठिकाना, नभ ही है उसका बिछौना, ताकतें शैतान की, छू नहीं सकती प्रभु को कभी क्योंकि प्रभु में न्याय है, महिमा भी है, आदर्श भी।
II
प्रभु के पांवों के नीचे, है बसा सारा जहां उसकी लीला हर तरफ है, है नज़र जाती जहां ईश्वर मानव बन के मानवों के बीच चला है कडवे और मीठे उसने भी चखे हैं, दुनिया के सब ज़ायके; लेकिन मानव ईश्वर की सच्चाई को जाने नहीं हर तरफ मौजूद था प्रभु, फिर भी वो माने नहीं. क्योंकि वो खामोश था और उसने कोई जादुई करतब दिखाए नही, इसलिये, असलियत में उसे किसी ने पहचाना नहीं हैं मगर हालात अब बिल्कुल जुदा: जो कभी देखा ना सदियों से युगों से, वो ही सब करने प्रभु अब जा रहा है जो कभी सुना ना सदियों से युगों से, वो ही सब कहने प्रभु अब जा रहा है चाहता है जान ले इंसानियत ये, इंसां के चोले में वो भगवान था। चाहता है जान ले इंसानियत ये, इंसां के चोले में वो भगवान था।


"वचन देह में प्रकट होता है" स

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

आपदा से पहले प्रभु गुप्त रूप से बहुत पहले ही आ गया है। हम उसका स्वागत कैसे कर सकते हैं? इसका मार्ग ढूंढने के लिए हमारी ऑनलाइन सभाओं में शामिल हों।