ये है मानव-जाति जिसे प्रभु बचाना चाहते हैं


परमेश्वर के वचन का भजन
ये है मानव-जाति जिसे प्रभु बचाना चाहते हैं

मानव-जाति कुचला गया, कुचला गया शैतान के नीचे। आदम और हव्वा अब ना रहे सृष्टि के प्रारंभ से। ज्ञान से वो हैं भरे, कल्पना से और भावों से, और उन सबसे जो है प्रभु के खिलाफ, और भरा है उनमें भ्रष्ट आचरण, लेकिन प्रभु की नज़रों में, मानव जाति उनकी ही रचना है प्रभु की नज़रों में, मानव जाति है वही, है वही, उनकी जो रचना थी।

अब भी मानव प्रभु के वश में है, और उन्हीं की संचालन में, मानव अब भी रहता, प्रभु की दर्शायी राहों में, तो प्रभु की नज़रों में, भ्रष्ट हो गया है इंसान, शैतानों के हाथों, वो धुल में सना और भूख से वो है बेहाल, उसकी प्रतिक्रिया है मंद, मंद है उसकी स्मृति, और आयु में भी है वो बड़े, और उसकी क्रियाएं, और प्रतिक्रियाएं, रह गयी बिलकुल अनछुई। इसी मानव की वो रक्षा करेंगे। इसी मानवता की रक्षा करेंगे।


यही मानव, जब सुन लेगा पुकार, जब सुन लेगा पुकार रचयिता की, जब सुनेगा उनके स्वर, वह उठकर होगा खड़ा और खिंचा चला जायेगा स्वर की ओर। जब यही मानव, यही मानव जब, देखेगा रचयिता का यह रूप, अर्पित कर देगा, और प्राण भी उनको, अर्पित कर देगा खुद को। मानव का ह्रदय जब, समझेगा, समझेगा प्रभु के मार्मिक शब्द, तब वह त्याग कर दूर ही शैतान, साथ देगा वह फिर से प्रभु का। जब वह हो जायेगा फिर से निर्मल, निर्मल और कुंठा विहीन, तब फिर पायेगा, वह भरपाई, और रचयिता का पोषण और आशीष, उसकी स्मृति भी लौट आएगी, तब सचमुच में, वह लौट आएगा, रचयिता के साम्राज्य में, और फिर सच में वह, वह लौट आएगा रचयिता के साम्राज्य में। 
"वचन देह में प्रकट होता है" से

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