ईसाई परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार करने और गवाही देने के लिए अपनी जान जोख़िम में क्यों डालते हैं?

होउ ज़ींगके (सार्वजनिक सुरक्षा केंद्र का प्रमुख): चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शासनवाले देश में तुम लोगों के लिए यह बिल्कुल नामुमकिन है कि परमेश्वर में विश्वास कर सको और सुसमाचार का का प्रचार कर सको। जो कोई भी परमेश्वर में आस्था रखने और सुसमाचार का प्रसार करने पर जोर देता है उसको मिटा दिया जायेगा। क्या तुम्हें पता है कि कितने ईसाइयों को जेल में भयानक मौत मरना पड़ा है? क्या तुम्हें मालूम है कि कितने ईसाइयों को मार डाला गया और उनके परिवारो को ख़त्म कर दिया गया? कोई भी कम्युनिस्ट पार्टी की ताकत को चुनौती नहीं दे सकता! अगर तुम परमेश्वर में आस्था रखने और सुसमाचार का प्रसार करने पर अड़ी रहोगी, तो तुम्हारी किस्मत कैद और मौत ही है! क्या तुम इस नतीजे को साफ़-साफ़ देख सकती हो?

मा जिन्लोंग (राष्ट्रीय सुरक्षा दल का कप्तान(अध्यक्ष)): तुम लोगों की सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया केन्द्रीय नेतृत्व के लिए सिरदर्द (परेशानी) है। कम्युनिस्ट पार्टी तुम लोगों को एक दुश्मन की तरह देखती है। वह तुम लोगों के ख़त्म होने तक आराम नहीं करेगी। क्या तुम्हें अंदाज़ा भी है कि कम्युनिस्ट पार्टी ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को दबाने और प्रतिबंधित करने के लिए कितना पैसा और कितने लोग जुटाये हैं? बहुत बड़ी कीमत है! क्या तुम्हें इस सब के मायने नहीं पता? तुम लोग अभी भी हर तरफ के सुसमाचारों का प्रचार कर रहे हो, परमेश्वर की गवाही दे रहे हो और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को फैला रहे हो। यह ऐसा ही है जैसे कि किसी बंदूक की नली पर अपनी छाती को लगाना। क्या तुम लोग मूर्ख नहीं हो? हमें तुम लोगों का इसी तरह ख्याल रखना चाहिये। अगर तुम लोग घर में शांति से रहो, तो कोई भी तुम लोगों को परेशान नहीं करेगा।
"विपरीत परिस्थितियों में मधुरता" नामक फ़िल्म की पटकथा से
हान लू (एक ईसाई): कम्युनिस्ट पार्टी ने हमेशा से परमेश्वर में विश्वास करनेवालों को दुश्मन माना हैं।उनको ख़त्म कर देने का इंतज़ार नहीं कर सकती। क्या आप लोगों को लगता है कि आप लोग मानव जाति के लिए परमेश्वर के उद्धार के कार्य को रोक सकेंगे? जब प्रभु यीशु छुटकारे का कार्य करने आये, क्या उन्हें धार्मिक समुदायों ने अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर के सूली पर नहीं चढाया था? उन्होंने सोचा कि उन्हें सफलता मिल गयी, और प्रभु यीशु का छुटकारे का कार्य निश्चित ही विफल हो गया है। लेकिन जिसकी कल्पना भी नहीं थी वो यह था कि, प्रभु यीशु ने सूली पर कहा कि "ये पूरा हुआ" परमेश्वर का छुटकारे का कार्य प्रभु यीशु के सूली पर चढ़ाये जाने से पूरा हो गया था। इसका क्या मतलब है? परमेश्वर की बुद्धिमत्ता को शैतान के छल पर बनाया गया था। प्रभु यीशु का छुटकारे का सुसमाचार पूरी धरती पर प्रचारित किया गया है। यह एक मानी हुई सच्चाई है। इन वर्षो में, चीनी काम्युनिस्ट सरकार पागलों की तरह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को दबा रही थी और सजा दे रही थी, उसने यहाँ तक दावा किया कि, "पूरा प्रतिबंध लगने तक सैनिकों को नहीं हटाया जायेगा।" परंतु, परिणाम क्या है? न सिर्फ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पर प्रतिबंध नहीं लग पाया, बल्कि इसके बजाय वो और अधिक पनप रही है। क्या आप लोगों को पता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? यह परमेश्वर का अधिकार है, परमेश्वर की शक्ति! जो भी परमेश्वर करना चाहते हैं। कोई भी देश या ताकतें उनको रोक नहीं सकती। हम क्यों इतनी निष्ठा से परमेश्वर में विश्वास करते हैं, सुसमाचार का प्रचार करते हैं और उनकी गवाही देते हैं? क्या आप लोग जानते हैं क्यों? यह युग ख़त्म होने वाला है। महाविपत्ति आने वाली है। केवल वे लोग जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करते हैं और शुद्धिकरण को प्राप्त करते हैं केवल वे ही परमेश्वर के उद्धार को प्राप्त कर सकते हैं और महाविपत्तिओं से बच सकते हैं। हम इस तरह से सुसमाचार का प्रसार क्यों न करें? अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो, बहुत से लोग परमेश्वर की ओर वापस नहीं लौट पाएंगे और महाविपत्ति में नष्ट हो जायेंगे। बहुत सी आत्माएं सजा के लिए नरक में पहुँच जाएँगी! क्या इन आत्माओं की सोचे, तो कया हम शारीरिक आराम के लिए घर पर यूँही बैठे रह सकते हैं? क्या हम सीसीपी सरकार द्वारा गिरफ्तारी और अत्याचार के डर से ऐसे ही शर्मसार होकर जी सकते हैं? अगर ऐसा है तो, हमारी अंतरात्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी! इसलिए, बहुत से ईसाई सुसमाचार के प्रसार और परमेश्वर की गवाही देने के लिए अपनी ज़िंदगी खोने का जोखिम उठाते हैं। यह कैसा जज्बा है? क्या आप लोग इसे समझ सकते हैं? तब भी आप लोग परमेश्वर में विश्वास करने वाले उन अच्छे लोगों के साथ, देश के सबसे वांछित मुजरिम की तरह व्यवहार करते हैंI मैं यह बिल्कुल नहीं समझ पाती। ऐसा करने से राज्य की सत्ता की स्थिरता के लिए क्या लाभ होगा? अब तक के इतिहास में, जिन देशों और जातियों ने पागलपन में परमेश्वर का विरोध और निंदा की है वे सभी परमेश्वर द्वारा तबाह किये गए हैं। यह सब सत्य है। जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर जो कुछ प्राप्त करना चाहता है उस मार्ग में कोई भी देश या शक्ति ठहर नहीं सकता है। वे जो परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, परमेश्वर के वचन का विरोध करते हैं, परमेश्वर की योजना में विघ्न डालते हैं और उसे बिगाड़ते हैं, अंततः परमेश्वर के द्वारा दण्डित किए जाएँगे।" परमेश्वर के धर्मी स्वभाव को अपमानित नहीं किया जा सकता। वे सभी जो परमेश्वर का विरोध करते हैं परमेश्वर का दंड जरूर सहेंगे
"विपरीत परिस्थितियों में मधुरता" नामक फ़िल्म की पटकथा से
अधिक:प्रभु यीशु का दूसरा आगमन - चमकती पूर्वी बिजली

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

आपदा से पहले प्रभु गुप्त रूप से बहुत पहले ही आ गया है। हम उसका स्वागत कैसे कर सकते हैं? इसका मार्ग ढूंढने के लिए हमारी ऑनलाइन सभाओं में शामिल हों।