वह कौन था जिसने उसके विवाह को बचा लिया?

यांग ज़ी, ह्यूबे
वह अभी बीस साल की हुई थी, उसके पास एक खूबसूरत डील-डौल था और वह फूल की तरह सुंदर दिखती थी, और उसके पीछे कई चाहने वाले घूमते थे। लेकिन उसने इस ओर तब तक ध्यान नहीं दिया जब उसकी एक सहेली ने एक दिन उसे बाहर जाने के लिए आमंत्रित किया जहाँ संयोग से उसकी मुलाकात लिन से हुई।
लिन लगभग 6 फीट लंबा था, एक प्रभावशाली चाल-ढाल के साथ वह ऊँचा और सुंदर था। उसने विनोद और हाज़िरजवाबी के साथ बातचीत की, और उसे तुरंत आकर्षित कर लिया। और लिन ने भी उसमें काफी रुचि ली। उन दोनों ने बहुत जल्द मिलना शुरू कर दिया, और कुछ महीनों के बाद उन्होंने शादी कर ली। समय आते, उनका एक बच्चा हुआ और उसने बहुत धन्य महसूस किया। लेकिन अच्छी चीजें हमेशा के लिए नहीं रहती हैं। जब वह सब कुछ का आनंद ले रही थी और एक सुंदर भविष्य की आशा कर रही थी, उसने पाया कि लिन हर दिन काम में ध्यान नहीं देता था। पूरे दिन वह आलसी बना रहता था, और वह अक्सर बाहर जाकर झगड़े करने और जुआ खेलने में लगा रहता था। जब वह घर लौटता, तो वह उसकी भी गलतियाँ निकालना शुरू कर देता चाहे कोई बात हो या न हो। वह उसकी या उनके बच्चे की कोई परवाह नहीं करता था। उसे समझ में नहीं आया कि लिन इस तरह क्यों कर रहा था। आँखों में आँसू लेकर उसने कई बार लिन से सही रास्ते पर चलने का आग्रह किया, लेकिन न केवल लिन ने नहीं सुना, वह उस पर बिगड़ जाता था, और एक बार तो वह उसका गला ही घोंटने लगा था। अब उसने लिन के बारे में सारी आशा खो दी थी। कुछ समय में, लिन को कानून तोड़ने के लिए जेल की सज़ा सुनाई गई, और उसे अपने और डेढ़ साल के अपने बच्चे की देखभाल खुद ही करनी पड़ी। उसका जीवन मुश्किलों और टूटी उम्मीदों से भरा था। 2003 तक, जब लिन ने अपनी जेल की सज़ा पूरी की और उसे रिहा किया गया, वह इस दर्दनाक विवाह को समाप्त कर चुकी थी।
इसके बाद, वह अपने बेटे को अपने माता पिता के घर ले गई। चूँकि उसके पास काम नहीं था, उसे और उसके बेटे को मदद करने के लिए अपने रिश्तेदारों पर भरोसा करना पड़ा, जिससे उसे बहुत शर्मिंदा और असहाय महसूस हुआ। जब उसके पड़ोसियों ने देखा कि उसे अपने बच्चे की देखभाल करने में कठिनाई हो रही है, तो उन्होंने उसके लिए एक साथी ढूँढने का प्रयास किया। पहले उसने सोचा कि वह सिर्फ एक औसत आदमी चाहती था, अगर कोई उसके बच्चे के लिए अच्छा हो, तो वह काफ़ी होगा, लेकिन फिर उसने अपने बारे में सोचा: मैं अभी काफ़ी छोटी उम्र की हूँ, और हालाँकि मैं तलाक़शुदा हूँ, मैं यूँ ही किसी को स्वीकार नहीं कर सकती हूँ। उसे आश्चर्य हुआ जब उसके पड़ोसियों ने उसे उन पुरुषों का प्रस्ताव दिया जो बहुत कम लम्बे थे, या अन्यथा वे बिलकुल सुन्दर नहीं थे, या उनके पास प्रभावशाली व्यक्तित्व नहीं था, उनमें से कुछ ने तो उसे बच्चे की वजह से नकार भी दिया, और जिन पुरुषों के संपर्क में वह आई, उनमें से कोई भी उसे अनुकूल न लगा, और इस बात ने उसे उसे काफ़ी निराश किया। बाद में उसकी मुलाकात जून से हुई, जो उम्र में उससे आठ साल बड़ा था, तलाक़शुदा था, और उसकी एक बेटी थी। उसका रंग सांवला था और दिखने में वह औसत था, वह बहुत लंबा नहीं था। अपने दिल में उसने वास्तव में जून को ख़ास नहीं माना, लेकिन वह ईमानदार और उदार हृदय का था, और वह उसके और उसके बेटे के प्रति बहुत दयालु था। उसने इसके बारे में सोचा, और यह फैसला किया कि उसके बेटे के लिए उसे समझौता करना होगा और उससे शादी करनी होगी। शादी करने के बाद, वह उतना ही दयालु रहा जितना कि वह पहले था। उसने उनका ख्याल रखा, वह बहुत विचारशील था, खाना पकाना और कपड़े धोना आदि घर के काम-काज किया करता था। लेकिन, वह अपने दंभ को दूर नहीं कर सकी, इसलिए वह अभी भी अपने दिल में जून को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर सकी थी। जून के बदसूरत दिखने से वह परेशान रहती थी और वह सोचती थी कि जून उसके लिए अयोग्य था। इस कारण से, वह कभी अपने पति के साथ बाहर जाना नहीं चाहती थी। एक बार जब वह बाहर थी, उसने एक दुकान में बिक्री के लिए सजी एक पोशाक देखी जो वह वास्तव में पहन कर देखना चाहती थी, लेकिन उसने अपने पति को अपने पीछे आते देखा, जो वयस्क और सांवला लग रहा था, और उसने सोचा कि अगर उसने उसे अपने बगल में चलने दिया तो दुकान में काम करने वाले लोग निश्चित रूप से उनको देखेंगे और उसकी पीठ के पीछे उसका मजाक उड़ाएँगे कि उसकी पसंद अच्छी नहीं थी। उसका पति इतना वयस्क कैसे हो सकता है? वह अपने गर्व को छोड़ न सकी, इसलिए उसने दुकान के प्रवेश द्वार में उसे बाहर इंतजार करने के लिए कहा। उस पल में, उसने जून की आँखों में निराशा देखी, लेकिन फिर वह तुरंत मुस्कुराया और बोला: "जाओ, इसे आज़मा कर देखो, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।" इसे सुनकर वह कुछ हद तक शर्मिंदा और असहज महसूस करने लगी। इसके बाद, दिल से स्वीकार होने के लिए, जून ने सभी घरेलू कर्तव्यों को संभाल लिया, और जो भी उसके लिए संभव था वह उसने किया, लेकिन चाहे वह जो भी करे, वह पूरी तरह से उसे स्वीकार नहीं कर पाई।
2010 में उसने सौंदर्य प्रसाधनों का व्यवसाय करना शुरू कर दिया, और जैसे ही यह शुरू हुआ, तो उसके कपड़े और साज-श्रृंगार अधिक आधुनिक और प्रचलित किस्म के बन गए, जिससे वह और भी युवा और अधिक सुंदर लगने लगी। जब वह अपने पति के बगल में दर्पण के सामने खड़ी होगी, तो वह उसकी तुलना में एक ग्रामीण किसान की तरह दिखाई देता था, उसके पास वो रूप या व्यक्तित्व नहीं था। उनके बीच की दूरी बढ़ गई थी, और इस समय वह अपने दिल में और भी बदतर महसूस कर रही थी। इसके अलावा, वह बहुत से लोगों से मिलती रहती थी और उसने पाया कि वे अन्य लोगों के पति अच्छे दिखने वाले और उत्कृष्ट थे, इसलिए जब भी वह घर लौटती और अपने पति को देखती, तो वह अधिक असंतुष्ट महसूस करती थी, और वह उसके पति की गलतियाँ निकाले बिना नहीं रह सकती थी। असल में, वह खो-सी गई थी, क्योंकि उसे पता था कि उसके पति ने हमेशा उसे खुश करने के लिए बहुत कोशिश की थी, और उसे इस तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए, लेकिन चूँकि वह हमेशा अपने दिल में एक असंतुलन का भाव महसूस करती थी, वह अपनी भावना पर नियंत्रण नहीं कर सकती थी। बीतते समय के साथ, जून इस तरह के जीवन को जी पाने में असमर्थ था, उन दोनों में अक्सर झगड़े होते थे, और वे एक पीड़ा में रहते थे। एक दिन उसने उस दोपहर के बारे में सोचा जब जून उसे लेने के लिए कार्यालय में आया था। असल में यह अच्छा होता अगर वह आया ही नहीं होता क्योंकि उसके किसी भी सहकर्मियों को पता नहीं था कि वह कैसा दिखता था। लेकिन वह उस दिन उसे लेने के लिए आ गया, और उसके बाद अगले दिन उसके सहकर्मियों ने उसे घेरकर पूछा, "कल तुम्हें लेने कौन आया था? वह तो बहुत देहाती-सा लग रहा था...।" उसे तुरंत लगा जैसे उसकी नाक कट गई थी। वह परेशान हुई क्योंकि उसे लगा कि उसके पति को उसे लेने नहीं आना चाहिए था। साथ ही, उसने खुद से भी पूछा कि वह इस तरह के निराशाजनक पति को कैसे पा सकती थी जिसके साथ वह देखे जाना भी नहीं चाहती थी, और जिसका दूसरे लोगों द्वारा उपहास किया जाता था और जिसे तुच्छ समझा जाता था। उसके लिए वास्तव में इस तरह रह पाना मुश्किल था। उस पल में, उसको एक निर्लज्ज-सा विचार आया: वह अब फिर से किसी ऐसे पुरुष की तलाश करेगी जो उसे पसंद आए। जहाँ तक जून के साथ विवाह का प्रश्न था, अगर यह वास्तव में आगे चल नहीं सकता, तो वह इसे खत्म कर देगी। उसके बाद, जब भी उसके सहकर्मियों ने उसे KTV में गायन करने के लिए आमंत्रित किया, तो वह उनके साथ जाती थी, लेकिन उसकी दिलचस्पी केवल एक ऐसे पुरुष को ढूँढने में थी जो उसको अच्छा लगे। इस दरम्यान, चूँकि जून को अक्सर टाला और नज़रअंदाज़ किया जा रहा था, उसने अपने दिल में एक पीड़ा महसूस करनी शुरू कर दी, और अब वह भी उसके प्रति अधिक उदासीन रहने लगा। यह बात यहाँ तक पहुँच गई कि वह कभी कभी काम के बाद घर नहीं लौटता था। इस तरह, उनके विवाह ने एक संकट में प्रवेश कर लिया...
यह उसी समय की बात है कि एक सहपाठी ने उसे परमेश्वर के अंत के दिनों के उद्धार के साथ परिचय कराया। उसने देखा कि परमेश्वर का वचन बहुत व्यावहारिक है, और हर वाक्य ने उसके दिल के एक गहरे ठिकाने से बात की। न केवल इसने यह उजागर किया कि शैतान ने मानवजाति के सत्य और सार को भ्रष्ट कर दिया था, बल्कि इसने जीने के लिए एक उचित मार्ग को भी दिखाया। इसलिए, उसने खुशी से परमेश्वर के अंतिम दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया। जब वह भाइयों और बहनों से मिलती थी, तो उसने देखा कि वे सभी बहुत शुद्ध थे और वे एक दूसरे से प्यार करते थे, और जब भी वे एक साथ होते थे तो कभी भी पहनने, खाने या किसी अन्य भौतिक सुखों के बारे में बातें नहीं करते थे। वे कभी भी एक दूसरे से यह तुलना नहीं करते थे कि कौन सबसे सुंदर था या धनी था, वे सभी सच्चाई का अनुसरण करने पर ध्यान दिया करते थे, और जब भी कोई चीज़ें उन्हें परेशान करती थीं, तो वे हमेशा मदद के लिए परमेश्वर से प्रार्थना किया करते थे। खुद को जानने के लिए वे परमेश्वर के वचन में खुद को प्रतिबिंबित करते थे, और वे परमेश्वर के वचन को अभ्यास में डाल कर खुद ईमानदार लोगों का आचरण करते थे। यह कुछ ऐसा था जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। इसके अलावा, उसने यह भी देखा कि जब भी वे भाई या बहन अपनी पत्नी या अपने पति के साथ हुआ करते थे, तब भी वे परमेश्वर के वचन को अभ्यास में डालते थे। विशेष रूप से, एक बहन थी जो उसके मुकाबले छोटी और अधिक सुंदर थी, और जिसका पति जून से भी बदतर दिखता था, लेकिन वह बहन अपने पति की अवहेलना बिलकुल ही नहीं करती थी। वे दोनों बहुत अनुकूलता से साथ रहते थे। वह इसे समझ नहीं सकी। उसे यह समझ में नहीं आया कि वह बहन अपने पति से दूरी क्यों नहीं रखती थी। बाद में, बहन ने उसके साथ सहभागिता की और कहा: हर किसी का विवाह परमेश्वर द्वारा बहुत पहले निर्धारित किया गया था, इसलिए चाहे विवाह जैसा भी हो, दृश्यों के पीछे हमेशा परमेश्वर की सतर्क व्यवस्था होती है, और विशेष रूप से, जब भी जिस पति की हमारे लिए परमेश्वर ने व्यवस्था की है, अगर वह दिखने में सुन्दर न हो और हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप न हो, तो यह वास्तव में हमारे लिए सबसे अच्छी बात है, क्योंकि इसमें परमेश्वर की कृपापूर्ण इच्छा निहित होती है। केवल इसीलिए कि हम शैतान द्वारा गहराई से भ्रष्ट हो गए हैं, हमारे पास हमेशा असाधारण इच्छाएँ, चुनाव और माँगें होती हैं, जो हमें यह समझने नहीं देती हैं कि परमेश्वर जब भी अपनी व्यवस्था करता है, तो उसका इरादा क्या होता है, इसलिए हम हमेशा अपने पति को तुच्छ समझते हैं और यह मानते हैं कि हमारा विवाह हमारी पसंद के अनुसार नहीं है, जिस बात की वजह से हम पीड़ा में जीते हैं। लेकिन जब हम परमेश्वर की इच्छा की तलाश करते हैं और सत्य को समझने लगते हैं और अपनी व्यक्तिगत पसंदों और इच्छाओं को छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो हम देखेंगे कि परमेश्वर ने हमारे लिए जो व्यवस्था की है, वह सर्वोत्तम और सबसे उपयुक्त है, और वास्तव में यह हमारे लिए एक सुरक्षा है। अगर हम स्वाभाविक रूप से इसके प्रति समर्पित होने में सक्षम होते हैं, तो हम अपने पतियों की अवहेलना नहीं कर पाएँगे।" उस समय, चूँकि अभी उसने परमेश्वर में विश्वास करना शुरू ही किया था, वह अभी सत्य से अवगत नहीं थी, यूँ तो ऐसा लग रहा था कि वह बहन की सहभागिता को समझ रही है, लेकिन वास्तव में वह इसे समझ नहीं पाई थी। परन्तु वह बहन जिस तरह से अपने पति के साथ पेश आती थी, उसकी उसने बहुत सराहना की।
एक दिन आया जब उसने परमेश्वर के वचन में पढ़ा: "ऐसे विचार जिन्हें सामाजिक प्रवृत्तियाँ लोगों के लिए ले कर आती हैं, जिस रीति से वे संसार में स्वयं को संचालित करने के लिए लोगों को प्रेरित करती हैं, और जीवन के लक्ष्य एवं बाह्य दृष्टिकोण जिन्हें वे लोगों के लिए लेकर आती हैं हम केवल उनके विषय में ही बात करने की इच्छा करते हैं। ये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं; वे मनुष्य के मन की दशा को नियन्त्रित एवं प्रभावित कर सकते हैं। …जब एक प्रवृत्ति (प्रचलन) की हवा आर पार बहती है, तो कदाचित् सिर्फ कम संख्या में ही लोग प्रवृत्ति के निर्माता बनेंगे। वे इस किस्म की चीज़ों को करते हुए शुरुआत करते हैं, इस किस्म के विचार या इस किस्म के दृष्टिकोण को स्वीकार करते हैं। फिर भी अधिकांश लोगों को उनकी अनभिज्ञता के मध्य इस किस्म की प्रवृत्ति के द्वारा अभी भी संक्रमित, सम्मिलित एवं आकर्षित किया जाएगा, जब तक वे सब इसे अनजाने में एवं अनिच्छा से स्वीकार नहीं कर लेते हैं, और जब तक सभी को इस में डूबोया एवं इसके द्वारा नियन्त्रित नहीं किया जाता है। क्योंकि मनुष्य जो एक स्वस्थ्य शरीर एवं मन का नहीं है, जो कभी नहीं जानता है कि सत्य क्या है, जो सकारात्मक एवं नकारात्मक चीज़ों के बीच अन्तर नहीं बता सकता है, इन किस्मों की प्रवृत्तियाँ एक के बाद एक उन सभों को स्वेच्छा से इन प्रवृत्तियों, जीवन के दृष्टिकोण, जीवन के दर्शन ज्ञान एवं मूल्यों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती हैं जो शैतान से आती हैं। जो कुछ शैतान उनसे कहता है वे उसे स्वीकार करते हैं कि किस प्रकार जीवन तक पहुँचना है और जीवन जीने के उस तरीके को स्वीकार करते हैं जो शैतान उन्हें "प्रदान" करता है। उनके सभी वह सामर्थ्य नहीं है, न ही उनके पास वह योग्यता है, प्रतिरोध करने की जागरूकता तो बिलकुल भी नहीं है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI")। जैसे ही उसने परमेश्वर के वचन को पढ़ना पूरा किया, तो वह अंततः समझ गई। दरअसल, इन पिछले वर्षों में उसकी सारी पीड़ा शैतान की भ्रष्टता के कारण थी। शैतान मनुष्य को इस विचार से प्रेरित करता है कि पुरुषों का "गोरी, धनी और सुन्दर" महिलाओं को ढूँढना, और महिलाओं का "ऊँचे, धनी और सुन्दर" पुरुषों को ढूँढना ही एक धन्य तथा सुखी वैवाहिक जीवन को पाने का तरीक़ा है। इस तरह की सामाजिक प्रवृत्ति के प्रभाव के तहत, विवाह पर लोगों के दृष्टिकोण विकृत हो गए हैं। आजकल जब लोग अपने जीवन-साथी की खोज करते हैं, तो वे अपने साथी के मानवीय गुणों की परवाह ही नहीं करते हैं, और चाहे वे उनके के लिए उपयुक्त हों या न हों, वे तो बस अपने साथी के बाहरी दिखावे पर ज़ोर देते हैं, जैसे कि वे लंबे और सुन्दर, या सुरूप और सुन्दर हैं या नहीं, कि उनका परिवार संपन्न है या नहीं, या वे खुद उन मानकों को पूरा करते हैं या नहीं जिनकी वे अपने जीवन-साथी से अपेक्षा करते हैं, इत्यादि। उन्हें लगता है कि अगर वे एक सुन्दर और धनी पति या पत्नी पा लेते हैं, तो उनके पास एक भव्य और आनंददायक जीवन होगा जो निश्चित रूप से व्यर्थ नहीं जाएगा। उसने भी जब पति को चुनने की बात आई, तो बिना सोचे-समझे इसी तरह के दृष्टिकोण को स्वीकार कर लिया था। अपने दिमाग में उसने हमेशा एक लंबे, सुन्दर और प्रभावशाली पति के साथ अपना जीवन साझा करने की आशा की थी, और वह मानती थी कि केवल यही बात उसे खुश रखेगी। इसके बारे में सोचो, उसका पहला पति—लिन—जिसे उसने बड़ी सावधानी से चुना था, पति के चुनाव के बारे में उसके सभी मानकों को और उसके मिथ्या दंभ को पूरा करता था, लेकिन उनकी शादी के बाद उसे एहसास हुआ था कि लिन में मानवीयता अच्छी नहीं थी, कि उसका व्यवहार हठीला और उपद्रवी था और उसके पास अनगिनत बुरी आदतें थीं। न केवल उसका विवाह सुखमय नहीं था, बल्कि इसके विपरीत, लिन ने उसकी उपेक्षा की थी, उसने चीज़ों को उसके लिए मुश्किल बना दिया था और वह उसे मारता भी था। अंत में, उसे अपने बच्चे को खुद अकेले ही बड़ा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जब भी वह लिन के साथ रहती थी, उसके शरीर में और उसकी आत्मा में बहुत पीड़ा रहती थी, और अंत में, जब वह इस पीड़ा में थी, उसने इस पहली शादी को समाप्त कर दिया था। जब कभी भी वह अपने जीवन के उस समय के बारे में अब सोचती है, तो उसे डर लगता है। लेकिन उसका वर्तमान पति—जून —हालांकि वह सुन्दर या लंबा नहीं है, हालांकि वह बाहर से काफ़ी अपरिष्कृत है, फिर भी उसका नैतिक आचरण अच्छा है। वह दयालु है और अपनी भूमिका निभाता है, और वह वास्तव में परिवार की देखभाल करता है। वह उसका और उसके बेटे का ख्याल रखता है और वास्तव में उनके प्रति विचारशील है। वह हमेशा उन तरीकों के बारे में सोचता है जिससे उसे पसंद किया जा सके और वह बेटे को अपना ही मानता है। लेकिन चूँकि जून दिखने में उतना अच्छा नहीं था जितना कि वह चाहती थी, वह हमेशा अपने दिल में एक असंतुलन महसूस करती थी, और उसे हमेशा लगता था कि जून उसके योग्य नहीं था। उसे लगता था कि इस तरह के पति को पाकर उसने अपना सम्मान और अपनी सामाजिक हैसियत को कम कर दिया था, और इसलिए उसने हमेशा जून को अप्रसन्न आँखों से देखा था। वह उसे स्वीकार करने में लगातार असमर्थ रही थी, और बात यहाँ तक पहुँच गई थी जहाँ वह जून के साथ अपने विवाह को तोड़ देना चाहती थी और एक बार फिर एक ऐसे पुरुष को ढूँढना चाहती थी जो लम्बा और सुन्दर हो, ताकि वह अपने मिथ्याभिमान को संतुष्ट कर सके। अंततः उस पल में यह हुआ कि वह एक तरह के एहसास तक पहुँच गई। चूँकि वह शैतान के विचारों से प्रभावित थी और विवाह पर उसका दृष्टिकोण विकृत हो चुका था, उसे पता नहीं था कि उसे किस प्रकार के विवाह की ज़रूरत थी, इसलिए वह जून को स्वीकार नहीं कर पा रही थी, और जून की पूरी तरह से अवहेलना और उपेक्षा किया करती थी, जिसके कारण खुद उसे और जून दोनों को पीड़ा में रहना पड़ रहा था। यह इसी वजह से था कि उनका वैवाहिक जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा था। उस पल में, अपने अनुभव के माध्यम से उसे वास्तव में एक समझ आ गई थी। अगर लोग परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं, तो उनके पास सत्य नहीं होगा, और इसलिए वे शैतान की गलत अवधारणाओं और झूठी बातों को पहचानने में सक्षम नहीं होंगे। वे समाज की बुरी रुझानों का पालन करेंगे और शैतान के ग़लत विचारों और दृष्टिकोणों के आधार पर जीते रहेंगे, उन्हें शैतान द्वारा बेवकूफ़ और विवश बनाया जाएगा और वे पीड़ा में रहेंगे। यह वास्तव में कितना दयनीय है!

इन चीज़ों को समझने के बाद, वह अपनी ग़लत विचारधारा से दूर हटने के लिए और अपने विवाह पर फिर से एक नज़र डालने के लिए तैयार थी। वह पूरी तरह से अवगत थी कि वह खुद एक ईसाई थी, इसलिए उसे एक ईसाई की समानता को जीना चाहिए ताकि शैतान को शर्मिंदा किया जा सके। उसके बाद उसने अपनी इच्छाओं के अनुरूप किसी अन्य पुरुष की तलाश करने के बारे में सोचना बंद कर दिया, और इसके बजाय, उसने जून की देखभाल करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, उसने जून को अपने दिल में स्वीकार करना शुरू कर दिया। उसके इस बदलाव को जून भी महसूस कर सकता था, जिसने उसे बहुत खुश कर दिया। धीरे-धीरे, पहले की अपेक्षा, जब वे एक दूसरे के प्रति उदासीन हुआ करते थे, अब वे एक दूसरे के करीब आने लगे। अब घर का वातावरण भी उतना तनावपूर्ण नहीं रहा था।
एक दिन उसकी एक सहेली घर पर उससे मिलने आई। जब जून ने उसे आते देखा, तो वह दोपहर के भोजन को बनाने के लिए रसोई घर में जल्दी चला गया। जब वे दोनों बातें कर रहे थे, उसकी सहेली ने कहा: "हमारी सहपाठी पैन लिन का पति सुन्दर और समृद्ध है। वह एक कंपनी में उपाध्यक्ष है और हांगझाओ में उसकी कई जायदाद है...।" जब उसने अपनी सहेली को यह कहते हुए सुना, तो उसके दिल में एक टीस हुई, और उसने तुरंत अपने युवाकाल के सपने के बारे में सोचा, जिससे निराशा की अस्पष्ट भावना उत्पन्न हुई...। उसे लगा कि उसकी स्थिति सही नहीं थी, इसलिए उसने तुरंत परमेश्वर से अपने दिल की रक्षा करने के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना के बाद, उसने समझा: जब हम लोगों को देखते हैं, तब हमें उनके बाहरी दिखावे पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि किसी व्यक्ति के पास किस प्रकार की मानवता है। भले ही कुछ स्त्रियाँ "गोरी, धनी और सुन्दर" हों, या कुछ पुरुष "लम्बे, धनी और सुन्दर" हों, उनमें मानवीय गुणों की बेहद कमी होती है, या यहाँ तक ​​कि मानवता का अंश मात्र भी नहीं होता है। अगर हम इस तरह के व्यक्ति के साथ रहते हैं तो क्या हम दुखी नहीं होंगे? चूँकि पहले मेरे दृष्टिकोण गलत थे, मुझे अंत में खुशी नहीं मिली थी। इसके विपरीत, मुझे एक अकथनीय दुःख का सामना करना पड़ा। आज, मैं अभी भी नहीं जगी हूँ, तो मैं इस तरह के विनाशकारी कार्यों को दोहराना कैसे चाह सकती हूँ? जिस पति को अब परमेश्वर ने मेरे लिए तैयार किया है, वही सबसे उपयुक्त है, साथ ही वह सबसे हितकारी है, तो मुझे अपने आप पर और अधिक परेशानी क्यों लानी चाहिए? इस बारे में सोचकर, उसका दिल प्रबुद्ध हुआ। वह अब अपने दोस्त के शब्दों से प्रभावित न हुई। उसने मुस्कुराकर अपने दोस्त से कहा: "हर किसी का अपना एक जीवन होता है। हमारा घर या वैवाहिक जीवन जैसा भी हो, वह परमेश्वर द्वारा व्यवस्थित किया गया है। इसके अलावा, जो लोग धनी और रूपवान होते हैं, उनकी हमेशा और भी इच्छाएँ होती हैं, पर ज़रूरी तो नहीं कि यही सुख-चैन हो।" मैं एक ऐसा पति चाहती थी जो लंबा और सुंदर हो और तथा प्रभावशाली लगता हो, लेकिन अंत में लिन का व्यवहार नेक नहीं था और मैं बहुत पीड़ा में रहा करती थी। अब मेरे पास जून है। हालाँकि वह मुझसे कुछ साल बड़ा है और दिखने में वह लिन जैसा लम्बा और सुन्दर नहीं है, उसका नैतिक चरित्र अच्छा है, उसमें कोई बुरी आदतें नहीं हैं, और मैं जानती हूँ कि वह मुझसे प्रेम करता है और मेरी ज़रूरतों का ध्यान रखता है। हालाँकि हमारा जीवन कुछ ख़ास तो नहीं है, यह फिर भी काफी सामंजस्यपूर्ण है, और मैं बहुत खुश हूँ।" उसी समय, जून बाहर निकला और इस बार उसने उसकी उपेक्षा या उसे छिपाने की कोशिश नहीं की, बल्कि उसने शांति से उसके साथ अपनी सहेली का परिचय कराया। उसके दोस्त ने उससे कहा, "पहली नज़र में ही मैं बता सकती थी कि तुम्हारा पति एक ईमानदार और मेहनती इंसान है, और वह तुम्हारे प्रति बहुत भला है, तुम वास्तव में धन्य हो।" उसने प्रसन्नता से अपना सिर हिलाकर हामी भरी, और अपने दिल में उसने चुपचाप परमेश्वर का धन्यवाद किया, क्योंकि वह जानती थी कि परमेश्वर उसकी देखभाल और रक्षा कर रहा था। अगर परमेश्वर के वचनों का प्रबोधन और मार्गदर्शन नहीं होता, तो वह और जून बहुत पहले ही अलग हो गए होते। तो आज उसके पास यह धन्य जीवन कैसे होता? यह सब परमेश्वर का आशीर्वाद है! जब जून ने देखा कि उसकी उपेक्षा नहीं की जा रही थी, तो उसके चेहरे पर एक ऐसी सुखद मुस्कान आ गई जो पहले कभी नहीं हुआ करती थी।
इसके बाद, जून के साथ उसका रिश्ता और भी अधिक सामंजस्यपूर्ण हो गया। हर बार जब वह घर लौटती थी, तो जून हमेशा तैयार भोजन के साथ उसकी प्रतीक्षा किया करता था, और परमेश्वर पर विश्वास करने में भी वह बहुत सहयोगी था। जब भी वह इन चीज़ों को देखती, तो वह द्रवित हो जाती थी। उसने वास्तव में महसूस किया कि परमेश्वर ने उसे सबसे अच्छी चीज़ें प्रदान की थीं, और केवल परमेश्वर की योजनाओं और व्यवस्थाओं को समर्पित होकर ही कोई व्यक्ति खुश हो सकता है। उसे एक ज़्यादा गहरी समझ हुई कि उसे इस विवाह का आनंद लेना चाहिए जो परमेश्वर ने उसे दिया है, और अपने दिल में उसने अधिक से अधिक मुक्त महसूस किया। उसने परमेश्वर का तहेदिल से धन्यवाद किया, अपने ऐसे विवाह को बचाने के लिए जो टूट पड़ने के कगार पर था। सारी महिमा परमेश्वर के लिए हो!
सम्बन्धित सामग्री:विवाह को बचाने का रहस्य (भाग 1) - सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मेरे विवाह को बचाया

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