स्वर्ग का राज्य धरती पर है या स्वर्ग में?

प्रश्न 2: प्रभु यीशु ने एक बार कहा था: "क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुए और हमारे लिये एक स्थान तैयार करने स्वर्ग लौटे, इसका अर्थ ये हुआ कि वो स्थान स्वर्ग में है। अगर प्रभु लौट आए हैं, तो उनका आना, हमें स्वर्ग में आरोहित करने के लिये होना चाहिये, पहले हमें प्रभु से मिलवाने, आसमान में ऊपर उठाने के लिये होना चाहिये। अब तुम लोग इस बात की गवाही दे रहे हो कि प्रभु यीशु लौट आये हैं, वे देहधारी हुए हैं, और धरती पर वचन बोलने और कार्य करने में लगे हैं। तो वो हमें स्वर्ग के राज्य में कैसे लेकर जाएंगे? स्वर्ग का राज्य धरती पर है या स्वर्ग में?

प्रभु यीशु की वापसी,स्वर्गारोहण
उत्तर: जहां तक सवाल ये है कि स्वर्ग का राज्य धरती पर या स्वर्ग में, पहले तो ये समझना ज़रूरी है कि असल में स्वर्ग का राज्य है क्या? ये तो सब जानते हैं कि "स्वर्ग" का मतलब है स्वर्गिक, परमेश्वर से संबंधित। तो स्वाभाविक है, स्वर्ग के राज्य का मतलब परमेश्वर का राज्य, जहां परमेश्वर की सत्ता है, ये मसीह का राज्य है। तो फिर परमेश्वर का राज्य धरती पर हुआ या स्वर्ग में? आओ पहले देखें कि प्रभु की प्रार्थना क्या कहती है: "हे हमारे पितातू जो स्वर्ग में हैतेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती हैवैसे पृथ्वी पर भी हो" (मत्ती 6:9-10)। क्या प्रभु यीशु के वचन एकदम स्पष्ट नहीं हैं? प्रभु चाहते हैं कि हम प्रार्थना करें, कि परमेश्वर का राज्य धरती पर आ जाए, ताकि धरती पर उनकी इच्छा पूरी की जा सके। प्रभु यीशु ने ये नहीं कहा कि परमेश्वर का राज्य स्वर्ग में बनाया जाएगा, और उन्होंने ख़ास तौर से ये नहीं चाहा कि हम उस दिन के लिये उम्मीद और प्रार्थना करें, जब हमें स्वर्गारोहित किया जाएगा। तो क्या हमेशा ये उम्मीद करना कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिये हमें स्वर्ग में ले जाया जाएगा, प्रभु के वचनों और उनकी इच्छा के एकदम विपरीत नहीं है? आइये, प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी पर नज़र डालें। "जब सातवें दूत ने तुरही फूँकीतो स्वर्ग में इस विषय के बड़े बड़े शब्द होने लगे: 'जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गयाऔर वह युगानुयुग राज्य करेगा'" (प्रकाशितवाक्य 11:15)। "फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा। वह उस दुल्हिन के समान थी जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो। फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुनादेखपरमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगाऔर वे उसके लोग होंगेऔर परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगाऔर इसके बाद मृत्यु न रहेगीऔर न शोकन विलापन पीड़ा रहेगीपहली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य 21:2-4)। इन दोनों अंशों में इन दोनों बातों का उल्लेख है: "जगत का राज्य हमारे प्रभु का और उसके मसीह का हो गया" "नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा।" "परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है।" इसमें धरती पर साकार हो रहे मसीह के राज्य का उल्लेख है। अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य धरती पर मसीह का राज्य स्थापित करने के लिये है। इससे पहले कि धरती पर महाविपत्ति आए, परमेश्वर विजेताओं का एक समूह बना लेंगे, और यह समूह परमेश्वर के राज्य का स्तंभ होगा। ये ऐसे लोग होंगे जो मसीह के राज्य में परमेश्वर के साथ-साथ शासन करेंगे। विपत्ति में वे ही परमेश्वर के राज्य के लोग होंगे, जिन्हें परमेश्वर ने पूर्ण किया है। जिन लोगों ने अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार नहीं किया है, उन्हें परमेश्वर के द्वारा उजागर किया जाएगा और हटा दिया जाएगा, और वे मसीह के राज्य का हिस्सा नहीं बनेंगे। प्रकाशित-वाक्य की पुस्तक की भविष्यवाणियां देहधारी परमेश्वर के अंत के दिनों के कथनों से शुरू होती हैं, और महाविपत्ति के अंत तक जाती हैं जब धरती पर मसीह का राज्य साकार होगा, और फिर वहां से नए स्वर्ग और नई धरती के अनंतकाल तक जाती हैं। जब ये सारी भविष्यवाणियां पूरी हो जाएंगी तो परमेश्वर की प्रबंधन योजना भी पूर्ण हो जाएगी। तो जो लोग अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करते हैं, अगर वे शुद्ध और पूर्ण किये जा चुके हैं, तो वे मसीह के राज्य के लोग होंगे। विपत्ति से पहले, परमेश्वर इन्हीं लोगों से विजेताओं का समूह बनाएंगे। ये वही लोग हैं जो परमेश्वर के वचनों को सुन पाते हैं, उनका आज्ञापालन करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। महाविपत्ति आने पर, परमेश्वर इनकी रक्षा करेंगे और अपने साथ रखेंगे। लेकिन जो लोग अस्पष्टता और ख़्यालों में खोए रहते हैं, जो सिर्फ़ आसमान में आरोहित होने और प्रभु से मिलने को लालायित रहते हैं लेकिन अंत के दिनों में मसीह के न्याय और शुद्धिकरण को स्वीकार नहीं करते, उनसे विपत्ति में निपटा जाएगा। अधिकतर लोगों का विनाश हो जाएगा और थोड़े-से लोग विपत्ति की भट्टी में तपकर परमेश्वर की ओर मुड़ जाएंगे। ये सारे सही काम परमेश्वर बहुत जल्दी करने जा रहे हैं।
प्रभु यीशु ने हमसे वादा किया था: "क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँतो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु के वचनों में वाकई कुछ रहस्य छिपे हैं। अगर इन्हें हम अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से देखें, तो प्रभु यीशु स्वर्ग लौट गए हैं, इसलिए वे हमारे लिये निश्चित तौर पर कोई जगह बना रहे हैं। लेकिन इस तरह से देखना बहुत बड़ी भूल होगी। परमेश्वर के कार्य के मामले में, हम अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि इंसान उनके कार्यों की थाह नहीं पा सकता। इन चीज़ों के बारे में हम तभी समझ पाएंगे जब वे उन्हें पूरा कर लेंगे और उन्हें हमारे सामने रख दिया जाएगा। मैं भी इन्हें तब तक नहीं समझ पाई जब तक कि मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार नहीं कर लिया, और उस कार्य की सच्चाई को नहीं देख लिया जो उन्होंने पूरा कर लिया है। प्रभु यीशु का हमारे लिये जगह तैयार करने के लिये लौटना दरअसल, हमारे लिये अंत के दिनों में जन्म लेने, अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने, उनके न्याय की प्रक्रिया से गुज़रने, शुद्ध और पूर्ण किये जाने, और आखिर में मसीह के राज्य में ले जाए जाने के लिए था। इस बारे में सोचिये। परमेश्वर देहधारी हुए हैं और इंसानों के बीच रह रहे हैं, उन्होंने अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिये सत्य व्यक्त किया है, और हमने परमेश्वर की वाणी सुन ली है और हमें उनके सामने खड़ा होने के लिये उन्नत किया गया है। क्या यह उनका हमसे मिलने आना नहीं है? हम परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हैं, हम उनके वचनों का स्वाद लेते हैं, हम उनके कार्य का अनुभव करते हैं, और हम परमेश्वर के साथ भोज में शामिल होते हैं। क्या यह प्रभु से मिलना नहीं है? जब परमेश्वर का कार्य पूरा होने का दिन आएगा, जब हम शुद्ध और पूर्ण कर दिए जाएंगे, तो हमें परमेश्वर के राज्य में लाया जाएगा। परमेश्वर के राज्य में मसीह का शासन है, और हम परमेश्वर के राज्य में उनके लोगों की तरह, उनकी आराधना करेंगे। क्या इससे प्रभु की ये भविष्यवाणी पूरी नहीं होती, "जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो"?
आइये, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़ें, और देखें कि धरती पर मसीह का राज्य कैसे साकार होगा, राज्य की सुंदरता कैसी होगी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर का राज्य मानवता के मध्य विस्तार पा रहा हैयह मानवता के मध्य बन रहा हैयह मानवता के मध्य खड़ा हो रहा हैऐसी कोई भी शक्ति नहीं है जो मेरे राज्य को नष्ट कर सके। अब मैं निर्बाध अपने लोगों के मध्य चल रहा हूंमेरे लोगों के मध्य में रहता हूं। आजजो मेरे लिए वास्तविक प्रेम रखते हैंऐसे लोग ही धन्य हैंजो मुझे समर्पित रहते हैं वे धन्य हैंवे निश्चय ही मेरे राज्य में रहेंगेजो मुझे जानते हैं वे धन्य हैंवे निश्चय ही मेरे राज्य में शक्ति प्राप्त करेंगेजो मेरा अनुसरण करते हैं वे धन्य हैंवे निश्चय ही शैतान के बंधनों से स्वतंत्र होंगे और मेरी आशीषों का आनन्द लेंगेवे लोग धन्य हैं जो अपने आप को मेरे लिए त्यागते हैंवे निश्चय ही मेरे राज्य को प्राप्त करेंगे और मेरे राज्य का उपहार पाएंगे। जो लोग मेरे खातिर मेरे चारों ओर दौड़ते हैं उनके लिए मैं उत्सव मनाऊंगाजो लोग मेरे लिए अपने आप को समर्पित करते हैं मैं उन्हें आनन्द से गले लगाऊंगाजो लोग मुझे भेंट देते हैं मैं उन्हें आनन्द दूंगा। जो लोग मेरे शब्दों में आनन्द प्राप्त करते हैं उन्हें मैं आशीष दूंगावे निश्चय ही ऐसे खम्भे होंगे जो मेरे राज्य में शहतीर को थामने वाले होंगेवे निश्चय ही अनेकों उपहारों को मेरे घर में प्राप्त करेंगे और उनके साथ कोई तुलना नहीं कर पाएगा। क्या तुम सबने मिलने वाली आशीषों को स्वीकार किया हैक्या कभी तुम सबने मिलने वाले वायदों को पाया हैतुम लोग निश्चय हीमेरी रोशनी के नेतृत्व मेंअंधकार की शक्तियों के गढ़ को तोड़ोगे। तुम अंधकार के मध्य निश्चय ही मार्गदर्शन करने वाली ज्योति से वंचित नहीं रहोगे। तुम सब निश्चय ही सम्पूर्ण सृष्टि पर स्वामी होगे। तुम लोग शैतान पर निश्चय ही विजयी बनोगे। तुम सब निश्चय ही महान लाल ड्रैगन के राज्य के पतन को देखोगे और मेरी विजय की गवाही के लिए असंख्य लोगों की भीड़ में खड़े होगे। तुम लोग निश्चय ही पाप के देश में दृढ़ और अटूट खड़े रहोगे। तुम सब जो कष्ट सह रहे होउनके मध्य तुम मेरे द्वारा आने वाली आशीषों को प्राप्त करोगे और मेरी महिमा के भीतर के ब्रह्माण्ड में निश्चय ही जगमगाओगे" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन "वचन देह में प्रकट होता है" के "उन्नीसवाँ कथन")।
"मेरे वचनों के पूर्ण होने के बादराज्य धीरे-धीरे पृथ्वी पर आकार लेने लगता है और मनुष्य धीरे-धीरे सामान्य हो जाताऔर इस प्रकार पृथ्वी पर मेरे हृदय में राज्य स्थापित हो जाता है। उस राज्य मेंपरमेश्वर के सभी लोगों को सामान्य मनुष्य का जीवन वापस मिल जाता है। बर्फीली शीत ऋतु चली गई हैउसका स्थान बहारों के संसार ने ले लिया हैजहाँ साल भर बहार बनी रहती है। लोग आगे से मनुष्य के उदास और अभागे संसार का सामना नहीं करते हैंऔर न ही वे आगे से मनुष्य के शांत ठण्डे संसार को सहते हैं। लोग एक दूसरे से लड़ाई नहीं करते हैं। एक दूसरे के विरूद्ध युद्ध नहीं करते हैंवहाँ अब कोई नरसंहार नहीं होता है और न ही नरसंहार से लहू बहता हैपूरी ज़मीं प्रसन्नता से भर जाती हैऔर यह हर जगह मनुष्यों के बीच उत्साह को बढ़ाता है। मैं पूरे संसार में घूमता हूँमैं ऊपर सिंहासन से आनन्दित होता हूँऔर मैं सितारों के मध्य रहता हूँ। और स्वर्गदूत मेरे लिए नए नए गीत गाते और नए नए नृत्य करते हैं। अब उनके चेहरों से उनकी स्वयं की क्षणभंगुरता के कारण आँसू नहीं ढलकते हैं। मैं अब अपने सामने स्वर्गदूतों के रोने की आवाज़ नहीं सुनता हूँऔर अब कोई मुझ से किसी कठिनाई की शिकायत नहीं करता है। आजतुम लोगमेरे सामने रहते होकल तुम लोग मेरे राज्य में बने रहोगे। क्या यह सब से बड़ा आशीष नहीं है जिसे मैं मनुष्य को देता हूँ?" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन "वचन देह में प्रकट होता है" के "बीसवाँ कथन")।
"जब एक बार विजय के कार्य को पूरा कर लिया जाता हैतब मनुष्य को एक सुन्दर संसार में पहुंचाया जाएगा। निश्चित रूप सेयह जीवन तब भी पृथ्वी पर ही होगापरन्तु यह मनुष्य के आज के जीवन से पूरी तरह से भिन्न होगा। यह वह जीवन है जो मानवजाति के तब पास होगा जब सम्पूर्ण मानवजाति पर विजय प्राप्त कर लिया जाता हैयह पृथ्वी पर मनुष्य के लिएऔर मानवजाति के लिए एक नई शुरुआत होगी कि उसके पास ऐसा जीवन हो जो इस बात का सबूत होगा कि मानवजाति ने एक नए एवं सुन्दर आयाम में प्रवेश कर लिया है। यह पृथ्वी पर मनुष्य एवं परमेश्वर के जीवन की शुरुआत होगी। ऐसे सुन्दर जीवन का आधार ऐसा ही होगाजब मनुष्य को शुद्ध कर लिया जाता है और उस पर विजय पा लिया जाता है उसके पश्चात्वह परमेश्वर के सम्मुख समर्पित हो जाता है। और इस प्रकारइससे पहले कि मानवजाति उस बेहतरीन मंज़िल में प्रवेश करे विजय का कार्य परमेश्वर के कार्य का अंतिम चरण है। ऐसा जीवन ही पृथ्वी पर मनुष्य के भविष्य का जीवन हैयह पृथ्वी पर सबसे अधिक सुन्दर जीवन हैउस प्रकार का जीवन है जिसकी लालसा मनुष्य करता हैऔर उस प्रकार का जीवन है जिसे मनुष्य ने संसार के इतिहास में पहले कभी हासिल नहीं किया गया है। यह 6,000 वर्षों के प्रबधंकीय कार्य का अंतिम परिणाम हैयह वह है जिसकी मानवजाति ने अत्यंत अभिलाषा की हैऔर साथ ही यह मनुष्य के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा भी है। परन्तु यह प्रतिज्ञा तुरन्त ही पूरी नहीं हो सकती है: मनुष्य अपने भविष्य की मंज़िल में केवल तभी प्रवेश करेगा जब एक बार अंतिम दिनों के कार्य को पूरा कर लिया जाता है और उस पर पूरी तरह से विजय पा लिया जाता हैअर्थात्जब एक बार शैतान को पूरी तरह से पराजित कर दिया जाता है। जब मनुष्य को परिष्कृत कर दिया जाता है उसके पश्चात् ही वह पापपूर्ण स्वभाव से रहित होगाक्योंकि परमेश्वर ने शैतान को पराजित कर दिया होगाजिसका अर्थ यह है कि विरोधी ताकतों के द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं होगाऔर कोई विरोधी ताकतें मनुष्य के शरीर पर आक्रमण नहीं कर सकती हैं। और इस प्रकार मनुष्य स्वतन्त्र एवं पवित्र होगा – वह अनन्तकाल में प्रवेश कर चुका होगा" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना")।
"जब मनुष्यजाति को उसकी मूल समानता में पुनर्स्थापित कर दिया जाता हैजब मानवजाति अपने संबंधित कर्तव्यों को पूरा कर सकती हैअपने स्वयं के स्थान को सुरक्षित रख सकती है और परमेश्वर की सभी व्यवस्थाओं का पालन कर सकती हैतो परमेश्वर पृथ्वी पर लोगों के एक समूह को प्राप्त कर चुका होगा जो उसकी आराधना करते हैंवह पृथ्वी पर एक राज्य स्थापित कर चुका होगा जो उसकी आराधना करता है। उसके पास पृथ्वी पर अनंत विजय होगीऔर जो उसके विरोध में है वे अनंतकाल के लिए नष्ट हो जाएँगे। इससे मनुष्य का सृजन करने का उसका मूल अभिप्राय पुनर्स्थापित हो जाएगाइससे सब चीजों के सृजन का उसका मूल अभिप्राय पुनर्स्थापित हो जाएगाऔर इससे पृथ्वी पर उसका अधिकारसभी चीजों के बीच उसका अधिकार और उसके शत्रुओं के बीच उसका अधिकार भी पुनर्स्थापित हो जाएगा। ये उसकी संपूर्ण विजय के प्रतीक हैं। इसके बाद से मानवजाति विश्राम में प्रवेश करेगी और ऐसे जीवन में प्रवेश करेगी जो सही मार्ग का अनुसरण करता है। मनुष्य के साथ परमेश्वर भी अनंत विश्राम में प्रवेश करेगाऔर एक अनंत जीवन में प्रवेश करेगा जो परमेश्वर और मनुष्य द्वारा साझा किया जाता है। पृथ्वी पर से गंदगी और अवज्ञा ग़ायब हो जाएगीवैसे ही पृथ्वी पर से विलाप ग़ायब हो जाएगा। उन सभी का अस्तित्व पृथ्वी पर नहीं रहेगा जो परमेश्वर का विरोध करते हैं। केवल परमेश्वर और वे जिन्हें उसने बचाया है ही शेष बचेंगेकेवल उसकी सृष्टि ही बचेगी" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे")।
"मैं सभी मनुष्यों से ऊपर चलता हूँ और हर कहीं देख रहा हूँ। कोई भी चीज कभी भी पुरानी नहीं दिखाई देती हैऔर कोई भी व्यक्ति वैसा नहीं है जैसा वह हुआ करता था। मैं सिंहासन पर आराम करता हूँमैं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पर आराम से पीठ टिकाए हुए हूँ और मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँक्योंकि सभी चीजों ने अपनी पवित्रता को पुनः प्राप्त कर लिया हैऔर मैं एक बार फिर से सिय्योन में शान्तिपूर्वक निवास कर सकता हूँऔर पृथ्वी पर लोग मेरे मार्गदर्शन के अधीन शान्ततृप्त जीवन बिता सकते हैं। सभी लोग सब कुछ मेरे हाथों में प्रबंधित कर रहे हैंसभी लोगों ने अपनी पूर्व की बुद्धिमत्ता और मूल प्रकटन को पुनः-प्राप्त कर लिया हैवे धूल से अब और ढके हुए नहीं हैंबल्किमेरे राज्य मेंहरिताश्म के समान शुद्ध हैंप्रत्येक ऐसे चेहरे वाला जैसा कि मनुष्य के हृदय के भीतर के एक पवित्र जन का होक्योंकि मनुष्यों के बीच मेरा राज्य स्थापित हो चुका है" (सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिये परमेश्वर के कथन "वचन देह में प्रकट होता है" के "सोलहवाँ कथन")।
"दुनिया भर मेंकेवल परमेश्वर और मनुष्य अस्तित्व में हैं। कोई धूल या गंदगी नहीं हैऔर सब कुछ नया कर दिया जाता हैजैसे कि आकाश के नीचे हरे-भरे चरागाह में लेटा हूआ भेड़ का कोई छोटा सा बच्चापरमेश्वर के सभी अनुग्रह का आनंद उठा रहा हो। और यह इस हरियाली के आगमन की वजह से है कि जीवन की साँस आगे बढ़ती हैक्योंकि परमेश्वर हमेशा के लिए मनुष्य के साथ-साथ रहने के लिए दुनिया में आता हैबिल्कुल वैसे ही जैसे परमेश्वर के मुँह से कहा गया था कि 'मैं एक बार फिर से सिय्योन में शान्तिपूर्वक निवास कर सकता हूँयह शैतान की हार का प्रतीक हैयह परमेश्वर के विश्राम का दिन हैऔर इस दिन की सभी लोगों द्वारा प्रशंसा और घोषणा की जाएगीऔर इसका सभी लोगों द्वारा स्मरणोत्सव मनाया जाएगा। परमेश्वर सिंहासन पर आराम भी तभी करता है जब परमेश्वर पृथ्वी पर अपना काम समाप्त कर लेता हैऔर यही वह क्षण है जब परमेश्वर के रहस्य सभी मनुष्य को दिखाए जाते हैंपरमेश्वर और मनुष्य सदैव सामंजस्य में होंगेकभी भी दूर नहीं होंगेये राज्य के सुंदर दृश्य हैं!" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "सोलहवें कथन की व्याख्या")।
"तड़प" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
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