परमेश्वर अपना अंत के दिनों का कार्य करने के लिए चीन में गुप्त रूप से क्यों अवरोहित हुए? इसके पीछे का अर्थ क्या है?


परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर चीन की मुख्य भूमि में देहधारण किया है, जिसे हांगकांग और ताइवान में हमवतन के लोग अंतर्देशीय कहते हैं। जब परमेश्वर ऊपर से पृथ्वी पर आया, तो स्वर्ग और पृथ्वी में कोई भी इसके बारे में नहीं जानता था, क्योंकि यही परमेश्वर का एक गुप्त अवस्था में लौटने का वास्तविक अर्थ है। वह लंबे समय तक देह में कार्य करता और रहता रहा है, फिर भी इसके बारे में कोई भी नहीं जानता है। आज के दिन तक भी, कोई इसे पहचानता नहीं है। शायद यह एक शाश्वत पहेली रहेगा। इस बार परमेश्वर का देह में आना कुछ ऐसा नहीं है जिसके बारे कोई भी जानने में सक्षम नहीं है। इस बात की परवाह किए बिना कि पवित्रात्मा का कार्य कितने बड़े-पैमाने का और कितना शक्तिशाली है, परमेश्वर हमेशा शांतचित्त बना रहता है, कभी भी स्वयं का भेद नहीं खोलता है। कोई कह सकता है कि यह ऐसा है मानो कि उसके कार्य का यह चरण स्वर्ग के क्षेत्र में हो रहा है। यद्यपि यह हर एक के लिए बिल्कुल स्पष्ट है, किन्तु कोई भी इसे पहचानता नहीं है। जब परमेश्वर अपने कार्य के इस चरण को समाप्त कर लेगा, तो हर कोई अपने लंबे सपने से जाग जाएगा और अपनी पिछली प्रवृत्ति को उलट देगा।[1] मुझे परमेश्वर का एक बार यह कहना याद है, "इस बार देह में आना शेर की माँद में गिरने जैसा है।" इसका अर्थ यह है कि क्योंकि परमेश्वर के कार्य का यह चक्र परमेश्वर का देह में आना है और बड़े लाल अजगर के निवास स्थान में पैदा होना है, इसलिए इस बार उसके पृथ्वी पर आने के साथ-साथ और भी अधिक चरम ख़तरे हैं। जिसका वह सामना करता है वे हैं चाकू और बंदूकें और लाठियाँ; जिसका वह सामना करता है वह है प्रलोभन; जिसका वह सामना करता है वह हत्यारी दिखाई देने वाली भीड़। वह किसी भी समय मारे जाने का जोख़िम लेता है। परमेश्वर कोप के साथ आया। हालाँकि, वह पूर्णता का कार्य करने के लिए आया, जिसका अर्थ है कि कार्य का दूसरा भाग करने के लिए जो छुटकारे के कार्य के बाद जारी रहता है। अपने कार्य के इस चरण के वास्ते, परमेश्वर ने अत्यंत विचार और ध्यान समर्पित किया है और, स्वयं को विनम्रतापूर्वक छिपाते हुए और अपनी पहचान का कभी भी घमण्ड नहीं करते हुए, प्रलोभन के हमले से बचने के लिए हर कल्पनीय साधन का उपयोग कर रहा है। सलीब से आदमी को बचाने में, यीशु केवल छुटकारे का कार्य पूरा कर रहा था; वह पूर्णता का कार्य नहीं कर रहा था। इस प्रकार परमेश्वर का केवल आधा कार्य ही किया जा रहा था, परिष्करण और छुटकारे का कार्य उसकी संपूर्ण योजना का केवल आधा ही था। चूँकि नया युग शुरू होने ही वाला था और पुराना युग पीछे हटने ही वाला था, इसलिए परमपिता परमेश्वर ने अपने कार्य के दूसरे हिस्से पर विवेचन करना शुरू किया और इसके लिए तैयारी करनी शुरू कर दी। अतीत में, कदाचित अंत के दिनों में इस देहधारण की भविष्यवाणी नहीं की गई हो, और इसलिए उसने इस बार परमेश्वर के देह में आने के आस-पास बढ़ी हुई गोपनीयता की नींव रखी। उषाकाल में, किसी को भी बताए बिना, परमेश्वर पृथ्वी पर आया और देह में अपना जीवन शुरू किया। लोग इस क्षण से अनभिज्ञ थे। कदाचित वे सब घोर निद्रा में थे, कदाचित बहुत से लोग जो सतर्कतापूर्वक जागे हुए थे वे प्रतीक्षा कर रहे थे, और कदाचित कई लोग स्वर्ग के परमेश्वर से चुपचाप प्रार्थना कर रहे थे। फिर भी इन सभी कई लोगों के बीच, कोई नहीं जानता था कि परमेश्वर पहले से ही पृथ्वी पर आ चुका है। परमेश्वर ने अपने कार्य को अधिक सुचारू रूप से पूरा करने और बेहतर परिणामों को प्राप्त करने के लिए इस तरह से कार्य किया, और यह अधिक प्रलोभनों से बचने के लिए भी था। जब मनुष्य की वसंत की नींद टूटेगी, तब तक परमेश्वर का कार्य बहुत पहले ही समाप्त हो गया होगा और वह पृथ्वी पर भटकने और अस्थायी निवास के अपने जीवन को समाप्त करते हुए चला जाएगा। क्योंकि परमेश्वर का कार्य परमेश्वर से व्यक्तिगत रूप से कार्य करना और बोलना आवश्यक बनाता है, और क्योंकि मनुष्य के लिए सहायता करने का कोई रास्ता नहीं है, इसलिए परमेश्वर ने स्वयं कार्य करने हेतु पृथ्वी पर आने के लिए अत्यधिक पीड़ा सही है। मनुष्य परमेश्वर के कार्य का स्थान लेने में समर्थ है। इसलिए परमेश्वर ने पृथ्वी पर अपना स्वयं का कार्य करने, अपनी समस्त सोच और देखरेख को दरिद्र लोगों के इस समूह को छुटकारा दिलाने पर रखने, खाद के ढेर से सने लोगों के इस समूह को छुटकारा दिलाने हेतु, उस स्थान पर आने के लिए जहाँ बड़ा लाल अजगर निवास करता है, अनुग्रह के युग के दौरान के ख़तरों की अपेक्षा कई हजार गुना अधिक ख़तरों का जोखिम लिया है। यद्यपि कोई भी परमेश्वर के अस्तित्व के बारे में नहीं जानता है, तब भी परमेश्वर परेशान नहीं है क्योंकि इससे परमेश्वर के कार्य को काफी लाभ मिलता है। हर कोई नृशंस रूप से बुरा है, इसलिए कोई भी परमेश्वर के अस्तित्व को कैसे बर्दाश्त कर सकता है? यही कारण है कि पृथ्वी पर परमेश्वर हमेशा चुप रहता है। इस बात की परवाह किए बिना कि मनुष्य कितना अधिक क्रूर है, परमेश्वर इसमें से किसी को भी गंभीरता से नहीं लेता है, बल्कि उस कार्य को करता रहता है जिसे करने की उसे आवश्यकता है ताकि उस बड़े कार्यभार को पूरा किया जाए जो स्वर्गिक परमपिता ने उसे दिया।

"वचन देह में प्रकट होता है" से "कार्य और प्रवेश (4)" से

उस समय जब यीशु यहूदिया में कार्य करता था, तब उसने खुलकर ऐसा किया, परन्तु अब, मैं तुम लोगों के बीच गुप्त रूप से काम करता और बोलता हूँ। अविश्वासी लोग इस बात से पूरी तरह से अनजान हैं। तुम लोगों के बीच मेरा कार्य दूसरों से अलग-थलग है। इन वचनों, इन ताड़नाओं और न्यायों को केवल तुम लोग ही जानते हो और कोई नहीं। यह सब कार्य तुम लोगों बीच में किया जाता है और केवल तुम लोगों के लिए प्रकट किया जाता है; उन अविश्वासियों में से कोई भी इसे नहीं जानता है, क्योंकि समय अभी तक नहीं आया है। ये मनुष्य ताड़नाओं को सहने के बाद पूर्ण किए जाने के समीप हैं, परन्तु जो लोग बाहर हैं वे इस बारे में कुछ नहीं जानते हैं। यह कार्य बहुत ही अधिक अप्रकट है! उनके लिए, परमेश्वर देह बन गया गोपनीय बात है, परन्तु जो इस धारा में हैं, उसके लिए यह स्पष्ट हुआ माना जाता है। यद्यपि परमेश्वर में सब कुछ स्पष्ट है, सब कुछ प्रकट है और सब कुछ मुक्त है, फिर भी यह केवल उनके लिए सही है जो उस में विश्वास करते हैं, और उन अविश्वासियों को कुछ भी ज्ञात नहीं करवाया जाता है। यहाँ अब किए जा रहे कार्य को उन्हें ज्ञात होने से सुरक्षित रखने के लिए कड़ाई से पृथक किया जाता है। उन्हें पता लग जाने पर, बस दण्ड और उत्पीड़न ही मिलता है। वे विश्वास नहीं करेंगे। उस बड़े लाल अजगर के देश में, जो सबसे अधिक पिछड़ा हुआ इलाका है, कार्य करना कोई आसान काम नहीं है। यदि इस कार्य की जानकारी हो गई होती, तब इसे जारी रखना असम्भव होता। कार्य का यह चरण मात्र इस स्थान में आगे नहीं बढ़ सकता है। यदि ऐसे कार्य को खुले तौर पर किया जाता, तो वे इसे कैसे सहन कर सकते थे? क्या यह और अधिक जोखिम नहीं लाता? यदि इस कार्य को गुप्त नहीं रखा जाता, और इसके बजाए यीशु के समय के समान ही निरन्तर जारी रखा जाता जब उसने असाधारण ढंग से बीमारों को चंगा किया और दुष्टात्माओं को निकाला था, तो क्या इसे बहुत पहले ही दुष्टात्माओं के द्वारा "कब्ज़े" में नहीं कर लिया गया होता? क्या वे परमेश्वर के अस्तित्व को बर्दाश्त कर सकते थे? यदि मुझे मनुष्य को उपदेश एवं व्याख्यान देने के लिए अभी बड़े कक्षों में प्रवेश करना होता, तो क्या मुझे बहुत पहले ही टुकड़े-टुकड़े नहीं कर दिया गया होता? यदि ऐसा होता, तो मेरा कार्य किया जाना कैसे जारी रखा जा सकता था? चिन्हों और अद्भुत कामों को खुले तौर पर प्रदर्शित नहीं किया जाता है इसका कारण प्रच्छन्नता के वास्ते। अतः मेरे कार्य को अविश्वासियों के द्वारा देखा, जाना या खोजा नहीं जा सकता है। यदि कार्य के इस चरण को अनुग्रह के युग में यीशु के तरीके के समान किया जाना होता, तो यह इतना सुस्थिर नहीं हो सकता था। अतः, कार्य को इसी रीति से प्रच्छन्न रखा जाना तुम लोगों के और समस्त कार्य के हित के लिए है। जब पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य समाप्त होता है, अर्थात्, जब इस गुप्त कार्य का समापन हो जाता है, तब कार्य का यह चरण झटके से पूरी तरह से खुल जाएगा। सब जान जाएँगे कि चीन में विजेताओं का एक समूह है; सब जान जाएँगे कि परमेश्वर ने चीन में देहधारण किया है और यह कि उसका कार्य समाप्ति पर आ गया है। केवल तभी मनुष्य पर प्रकटन होगा: ऐसा क्यों है कि चीन ने अभी तक क्षय या पतन का प्रदर्शन नहीं किया है? इससे पता चलता है कि परमेश्वर चीन में व्यक्तिगत रूप से अपना कार्य कर रहा है और उसने लोगों के एक समूह को विजाताओं के रूप में पूर्ण बना दिया है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "देहधारण का रहस्य (2)" से

आरंभ में, परमेश्वर का कार्य इस्राएल के चुने हुए लोगों के बीच किया गया था, और यह सभी जगहों में से सबसे पवित्र में एक नए युग का उद्भव था। कार्य का अंतिम चरण, दुनिया का न्याय करने और युग को समाप्त करने के लिए, सभी देशों में से सबसे अशुद्ध में किया जाता है। पहले चरण में, परमेश्वर का कार्य सबसे प्रकाशमान स्थान में किया गया था, और अंतिम चरण सबसे अंधकारमय स्थान में किया जाता है, और इस अंधकार को बाहर निकाल दिया जाएगा, प्रकाश को प्रकट किया जाएगा, और सभी लोगों पर विजय प्राप्त की जाएगी। जब सभी जगहों में इस सबसे अशुद्ध और सबसे अंधकारमय स्थान के लोगों पर विजय प्राप्त कर ली जाएगी, और समस्त आबादी स्वीकार कर लेगी कि एक परमेश्वर है, जो सच्चा परमेश्वर है, और हर व्यक्ति सर्वथा आश्वस्त हो जाएगा, तब समस्त जगत में विजय का कार्य करने के लिए इस तथ्य का उपयोग किया जाएगा। कार्य का यह चरण प्रतीकात्मक है: एक बार इस युग का कार्य समाप्त हो गया, तो प्रबंधन का 6000 वर्षों कार्य पूरा हो जाएगा। एक बार सबसे अंधकारमय स्थान के लोगों को जीत लिया, तो कहने की आवश्यकता नहीं कि हर अन्य जगह पर भी ऐसा ही होगा। वैसे तो, केवल चीन में विजय का कार्य सार्थक प्रतीकात्मकता रखता है। चीन अंधकार की सभी शक्तियों का मूर्तरूप है, और चीन के लोग उन सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो देह के हैं, शैतान के हैं,मांस और रक्त के हैं। ये चीनी लोग हैं जो बड़े लाल अजगर द्वारा सबसे ज़्यादा भ्रष्ट किए गए हैं, जिनका परमेश्वर के प्रति सबसे मज़बूत विरोध है, जिनकी मानवता सर्वाधिक अधम और अशुद्ध है, और इसलिए वे समस्त भ्रष्ट मानवता के मूलरूप आदर्श हैं। …मैंने हमेशा क्यों कहा है कि तुम लोग मेरी प्रबंधन योजना के सहायक हो? यह चीन के लोगों में है कि भ्रष्टाचार, अशुद्धता, अधार्मिकता, विरोध और विद्रोहशीलता सर्वाधिक पूर्णता से व्यक्त होते हैं और अपने सभी विविध रूपों में प्रकट होते हैं। एक ओर, वे खराब क्षमता के हैं, और दूसरी ओर, उनके जीवन और उनकी मानसिकता पिछड़े हुए हैं, और उनकी आदतें, सामाजिक वातावरण, जन्म का परिवार—सभी गरीब और सबसे पिछड़े हुए हैं। उनकी हैसियत भी कम है। इस स्थान में कार्य प्रतीकात्मक है, और इस परीक्षा के कार्य के इसकी संपूर्णता में पूरा कर दिए जाने के बाद, उसका बाद का कार्य बहुत बेहतर तरीके से होगा। यदि कार्य के इस चरण को पूरा किया जा सकता है, तो इसके बाद का कार्य ज़ाहिर तौर पर होगा ही। एक बार कार्य का यह चरण सम्पन्न हो जाता है, तो बड़ी सफलता पूर्णतः प्राप्त कर ली गई होगी, और समस्त विश्व में विजय का कार्य पूर्णतः पूरा हो गया होगा। वास्तव में, एक बार तुम लोगों के बीच कार्य सफल हो जाता है, तो यह समस्त विश्व में सफलता के बराबर होगा। यही इस बात का महत्व है कि क्यों मैं तुम लोगों से एक प्रतिदर्श और नमूने के रूप में कार्यकलाप करवाता हूँ। विद्रोहशीलता, विरोध, अशुद्धता, अधार्मिकता, इन लोगों में सभी पाए जाते हैं, और इनमें मानव जाति की सभी विद्रोहशीलता का प्रतिनिधित्व होता है—वे वास्तव में कुछ हैं। इस प्रकार, उन्हें विजय के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, और एक बार जब वे जीत लिए जाते हैं तो वे स्वाभाविक रूप से दूसरों के लिए एक प्रतिदर्श और आदर्श बन जाएँगे।

"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (2)" से

चूँकि परमेश्वर अपनी सृष्टि के मध्य कार्य करने का इच्छुक है, वह पूरी सृष्टि पर सफलतापूर्वक अपना कार्य निश्चित पूरा कर लेगा; वह उनके मध्य कार्य करेगा जो उसके कार्य के लिए लाभदायक होंगे। इसलिए, वह मनुष्यों के मध्य कार्य करने में सभी परम्पराओं को तोड़ देता है, उसके लिए "श्रापित," "ताड़ित," और "आशीषित" शब्द बेमतलब हैं! यहूदी लोग काफी अच्छे हैं, और इस्राएल के चुने हुए लोग भी बुरे नहीं हैं, ये अच्छी क्षमता और मानवता से भरे हुए लोग हैं। यहोवा ने शुरआत में अपना कार्य इनके मध्य में प्रारम्भ किया था और अपना प्रारंभिक काम पूरा किया, परन्तु यह सब बेमतलब होता यदि वह उन्हें अपने विजयी कार्य के लिए प्राप्तकर्ताओं के तौर पर इस्तेमाल करता। हालांकि वे भी सृष्टि का एक हिस्सा हैं और उनके बहुत सारे सकारात्मक पहलु हैं, उनके मध्य में इस चरण के कार्य को करना बेमतलब होगा। वह किसी को भी जीतने में असमर्थ होगा, न ही वह सम्पूर्ण सृष्टि को समझाने में सक्षम होगा। बड़े लाल अजगर के राष्ट्र के इन लोगों के मध्य उसके कार्यों के स्थानांतरण का यह महत्व है। यहां पर सबसे गहरा अर्थ एक युग के प्रारम्भ में, सभी मानव धारणाओं और नियमों को तोड़ने में और सम्पूर्ण अनुग्रह युग के कार्य का समापन किये जाने में है। यदि उसका वर्तमान का कार्य इस्राएलियों के मध्य किया गया होता, उसके छः हज़ार सालों के प्रबंधन के कार्य के समाप्त होने के समय तक, प्रत्येक व्यक्ति यह विश्वास करता कि परमेश्वर केवल इस्राएलियों का परमेश्वर है, यह कि सिर्फ इस्राएल के लोग परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं, यह कि केवल इस्राएली ही परमेश्वर की आशीष और प्रतिज्ञाओं को प्राप्त करने के योग्य हैं। अंतिम दिनों में, परमेश्वर बड़े लाल अजगर के गैर यहूदी देश में देहधारी के तौर पर है; उसने सम्पूर्ण सृष्टि के परमेश्वर के तौर पर परमेश्वर का कार्य पूर्ण कर लिया है; उसने अपना सम्पूर्ण प्रबंधन कार्य पूर्ण कर लिया है, और बड़े लाल अजगर के राष्ट्र में वह अपने कार्य के मुख्य भाग को समाप्त करेगा। कार्य के तीनों चरणों का मुख्य बिन्दु है मनुष्य की मुक्ति-अर्थात सम्पूर्ण रचना के द्वारा सृष्टि के प्रभु की आराधना कराना।

"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर सम्पूर्ण सृष्टि का प्रभु है" से


अंत के दिनों का कार्य चीन में, जो कि सबसे अंधकारमय, पिछड़े स्थानों में से एक है, क्यों किया जा रहा है? यह परमेश्वर की पवित्रता और धार्मिकता प्रकट करने के लिए है। संक्षेप में, जितना अधिक अंधकारमय कोई स्थान होता है उतनी ही अच्छी तरह से उसकी पवित्रता प्रकट हो सकती है। सच्चाई यह है कि यह सब करना परमेश्वर के कार्य के वास्ते है। अब तुम केवल यह जानते हो कि स्वर्ग के परमेश्वर ने पृथ्वी पर अवरोहण कर लिया है और वह तुम्हारे बीच खड़ा है, और उसे तुम्हारी गंदगी और विद्रोहशीलता के खिलाफ विशिष्टता से दर्शाया गया है, ताकि तुम्हें परमेश्वर की समझ आनी शुरू हो जाए—क्या यह एक महान उत्थान नहीं है?

"वचन देह में प्रकट होता है" से "विजय के कार्य का दूसरा कदम किस प्रकार से फल देता है" से

परमेश्वर ने यह महान कार्य उस देश में किया है जहां विशाल लाल अजगर निवास करता है, ऐसा कार्य, यदि कहीं और किया जाता, तो वर्षों पहले बड़ा फल लाता, और मनुष्यों के द्वारा बड़ी आसानी से स्वीकार किया जाता। और ऐसा कार्य पश्चिम के पादरियों के लिए स्वीकार करना अत्यन्त आसान होता जो परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, क्योंकि यीशु के कार्य का चरण मिसाल का कार्य करता है। यही कारण है कि वह महिमाकरण के कार्य के इस चरण को किसी अन्य स्थान में प्राप्त नहीं कर सका; अर्थात, चूँकि सभी मनुष्यों की ओर से सहयोग और सभी राष्ट्रों की अभिस्वीकृति है, परमेश्वर की महिमा "ठहरने" के लिए कोई स्थान नहीं है। और ठीक रूप से इस देश में इस कार्य के चरण का असाधारण महत्व है।

"वचन देह में प्रकट होता है" से "क्या परमेश्वर का कार्य इतना सरल है, जितना मनुष्य कल्पना करता है?" से

फुटनोट:

1. "अपनी पिछली प्रवृत्ति को उलट देगा" इस बात का इशारा करता है कि एक बार लोग

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