अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है (III) परमेश्वर का अधिकार (II)" (अंश III)


अंतिम दिनों के मसीह के कथन "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है (III) परमेश्वर का अधिकार (II)" (अंश III)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "क्योंकि लोग सृष्टिकर्ता के आयोजनों एवं इंतज़ामों को नहीं पहचानते हैं, वे हमेशा ढिठाई से एवं विद्रोही मनोवृत्ति के साथ नियति का सामना करते हैं, और हमेशा परमेश्वर की संप्रभुता एवं अधिकार एवं उन चीज़ों को दूर करना चाहते हैं जिन्हें नियति ने संचय करके रखा है, तथा अपनी वर्तमान परिस्थितियों को बदलने और अपनी नियति को पलटने के लिए व्यर्थ में आशा करते हैं।परन्तु वे कभी भी सफल नहीं हो सकते हैं; हर एक मोड़ पर उनका प्रतिरोध किया जाता है। यह संघर्ष, जो किसी व्यक्ति की आत्मा की गहराई में होता है, कष्टप्रद है; इस दर्द को भुलाया नहीं जा सकता है; और पूरे समय वह अपने जीवन को गंवाते रहता है। इस दर्द का कारण क्या है? क्या यह परमेश्वर की संप्रभुता के कारण है, या इसलिए क्योंकि उस व्यक्ति ने बदनसीबी में जन्म लिया था? स्पष्ट रूप से कोई भी सही नहीं है। सबसे मुख्य बात, यह उन मार्गों के कारण है जिन पर लोग चलते हैं, ऐसे मार्ग जिन्हें लोग अपनी ज़िन्दगियों को जीने के लिए चुनते हैं। शायद कुछ लोगों ने इन चीज़ों का एहसास नहीं किया है। परन्तु जब तू सचमुच में जानता है, जब तू सचमुच में एहसास करता है कि परमेश्वर के पास मनुष्य की नियति के ऊपर संप्रभुता है, जब तू सचमुच समझता है कि हर चीज़ जिसकी परमेश्वर ने तेरे लिए योजना बनाई और निश्चित की है तो उसका बड़ा लाभ है, और वह एक बहुत बड़ी सुरक्षा है, तो तुम महसूस करते हो कि तुम्हारा दर्द आहिस्ता आहिस्ता कम हुआ है, और तुम्हारा सम्पूर्ण अस्तित्व शांत, स्वतंत्र, एवं बन्धन मुक्त हो गया है।"

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